ट्रस्ट को लेकर चर्चा सूत्रों के मुताबिक इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि नया ट्रस्ट बने या पुराने रामजन्मभूमि न्यास में ही नए सदस्य शामिल किये जाएं। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल भी राम मंदिर ट्रस्ट का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि सदस्यों को लेकर आखिरी फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय से ही होगा। वहीं दूसरी तरफ मंदिर निर्माण के लिए कई संगठनों, ट्रस्टों और धार्मिक समूहों द्वारा जमा फंड को लेकर सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या फंड जमाकर्ता नए ट्रस्ट को पैसा सौंपने के लिए तैयार होंगे। वहीं इस बीच ट्रस्ट में जगह पाने को लेकर संतों और कई हिंदू संगठनों के बीच होड़ शुरू हो गई है।
ऐसे बनेगा राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट का गठन करे। आगे यही ट्रस्ट मंदिर निर्माण से जुड़ी हर गतिविधियों, प्रक्रियाओं का निर्धारण करेगा। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अयोध्या जमीन अधिग्रहण एक्ट 1993 के तहत ट्रस्ट का गठन होगा। फैसले के मुताबिक मंदिर के लिए ट्रस्ट आंतरिक और बाहरी अहाते की जमीन को कब्जे में लेगा। इसी कानून के तहत केंद्र सरकार ने विवादित स्थल के आसपास की 67.7 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। कुछ शर्तो के साथ इसी कानून से यह जमीन ट्रस्ट को सौंपी जा सकेगी। राम मंदिर ट्रस्ट का रूप-स्वरूप देश के अन्य मंदिरों के ट्रस्ट जैसा ही होगा। यह सोमनाथ मंदिर, अमरनाथ श्राइन बोर्ड या माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरह भी हो सकता है। राम मंदिर निर्माण के लिये बनने वाले इस ट्रस्ट के सात सदस्यों में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बतौर सदस्य शामिल हो सकते हैं।