रामलीला में दिखा सौहार्द की मिसाल रईस बने राम तो शहजादे शंकर की भूमिका में
राम नगरी अयोध्या में होने वाले अनवरत रामलीला में हिंदुओं के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी अदा कर रहे हैं भूमिका

अयोध्या : देश में सौहार्द की मिसाल बन रही अयोध्या में होने वाली रामलीला को देखने के लिए दूरदराज से लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं दरसल अयोध्या के तुलसी स्मारक भवन में चल रहे अनवर रामलीला में हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं 1 जुलाई से मुरादाबाद की मंडली में रईस भगवान राम की भूमिका में वही शंकर की भूमिका में शहजादे अपना संवाद कर रहे हैं इसके अलावा इस रामलीला मंचन में पुरुषों के साथ कई महिलाएं भी शामिल हैं। जिनका इस मंच में महत्वपूर्ण स्थान है अयोध्या में चल रहे इस रामलीला मंचन से अयोध्याा कि नहीं के कोने कोने में गंगा जमुनी सौहार्द पैदा कर रही है शायद आने वाले समय में देश में होने वाली धर्म जाति के विवाद को समाप्त करने में इस रामलीला का प्रमुख योगदान होगा।
मुरादाबाद से आए कार्तिकेय संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल के निर्देशन में 25 सदस्य टीम अनवरत रामलीला में मंचन कर रही है पंकज बताते हैं कि उनकी मंडली करीब 30 वर्षों से राम संस्कृति को प्रचारित कर रही है भारत के दर्जनों राज्यों में उनकी टीम द्वारा रामलीला का मंचन किया जा चुका है इसी क्रम में पहली बार राम नगरी में संस्कृत द्वारा प्रस्तुति करने का सौभाग्य मिला है बताते हैं कि उनके मंडली में 5 मुस्लिम महिलाएं महिला कलाकार भी हैं रईस राम की व शहजादे आलम ने शंकर की भूमिका किया है जबकि माता सीता का किरदार जीवंत करती प्रतीत होती हैं बताते हैं कि मुरादाबाद मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में रामलीला की प्रस्तुति दोनों समुदाय के बीच सौहार्द पैदा करने की मिसाल है ।
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