अयोध्या में राम भक्त स्वर्गीय कल्याण सिंह का अस्थि विसर्जन आपको बता दें कि स्वर्गीय कल्याण सिंह को आज राम भक्त कहा जाता है उनके शासनकाल में कुछ ऐसी घटनाएं हुई थी जिसके कारण आज उन्हें पूरे देश में राम भक्तों के रूप में पहचान मिली है। दर्शन 6 दिसंबर 1992 में प्रदेश में मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार की लेकिन इस दौरान अयोध्या में भगवान श्री राम की भव्य मंदिर की मांग लिए लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे जहां मंदिर बबीता को लेकर विवादित ढांचे को कारसेवकों ने गिरा दिया सत्ता शासन होने के कारण कल्याण सिंह पर कारसेवकों को रोके जाने के लिए दबाव डाला गया यहां तक कि गोली चलाई जाने का भी आदेश केंद्र सरकार के द्वारा दिया गया लेकिन उन्होंने अपने सत्ता का परिवाह ना करते हुए राम भक्तों कारसेवकों के प्रति नम्रता पेश की और गोली ना चलाने का आदेश दिया। और कुछ ही घंटों में विवादित ढांचे को कार्यक्रम को नहीं गिरा दिया जिसके कारण आज भव्य मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है।
श्री रामलला के लिए त्याग दिया था सत्ता पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह 1992 की घटना पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अपने सत्ता का भी जा कर दिया था यही कारण है कि आज इन्हें सच्चे राम पति के रूप में जाना जाता है वहीं प्रदेश सरकार ने उनके निधन पर उत्तर प्रदेश के 5 जनपदों में कल्याण सिंह के नाम से मार्ग बनाए जाने के साथ अयोध्या में राम जन्मभूमि तक जाने वाले दर्शन को कल्याण सिंह मार्ग के नाम से समर्पित करने का निर्णय लिया है। और अब कल्याण सिंह हमारे बीच न रहने पर भी पूरी दुनिया में उन्हें हमेशा जाना जाएगा। आज स्वर्गीय कल्याण सिंह के अस्थि कलश यात्रा लेकर अयोध्या पहुंचे पुत्र राजवीर सिंह व पौत्र संदीप सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सरयू नदी में विसर्जित किया गया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, गोंडा सदर विधायक प्रतीक भूषण मिल्कीपुर विधायक गोरखनाथ अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता व कई संत भी मौजूद रहे।