कारक गोत्र के तकरीबन 60 लाख कोरियाई खुद को राजा सुरो और अयोध्या की राजकुमारी हो का वंशज मनाते हैं। यह संख्या दक्षिण कोरिया की आबादी के 10वें हिस्से से भी अधिक है। इसीलिए दक्षिण कोरिया की बड़ी आबादी आज भी खुद को किम सुरो की 72वीं पीढ़ी बताती है और अयोध्या के मौजूदा राज परिवार को काया राजवंश का हिस्सा मानते हैं और इस राजवंश से जुड़े लोगों का सम्मान भी करते हैं।
दक्षिण कोरियन साहित्य में अयोध्या को ‘अयुता’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, अयोध्या का पहले नाम साकेत था। दक्षिण कोरियन सरकार ने पूर्व रानी की स्मृति में एक स्मारक भी बनवा रखा है। अयोध्या और कोरिया के कनेक्शन का एक बड़ा कारण और भी है। अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा के परिवार ने एक दूसरे को चूमती मछलियों का जो राज चिन्ह पीढ़ियों से संभालकर रखा है, वही राज चिन्ह कोरिया के राजा किम सुरो का भी था।