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अयोध्या

मंदिर मस्जिद पक्षकारों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र नयी बेंच का हो गठन, चीफ जस्टिस नहीं चाहते मुकदमे का हो हल

पक्षकारों ने कहा हमे चीफ जस्टिस कि इस टिप्पणी से कि मंदिर मस्जिद मामला कोई प्रायर्टीज वाला मुकदमा नहीं है न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है से निराशा हुई है

अयोध्याNov 17, 2018 / 06:16 pm

अनूप कुमार

Mahant Dharm Das And Iqbal ansari Big Statment On chief Justice India

Mahant Dharm das And Iqbal ansari


अयोध्या : धार्मिक नगरी अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण की मांग को लेकर अलग अलग रंग दिखाई दे रहे हैं | जहां एक तरफ विहिप और संघ राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर 25 नवम्बर को अयोध्या में विराट धर्म सभा नाम से एक बड़ा आयोजन करने जा रही है | वहीँ इस मुकदमे के दो पक्षकार इकबाल अंसारी और महंत धर्मदास ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इस मुकदमे की सुनवाई के लिए एक नयी बेंच का गठन करने और उस बेंच में चीफ जस्टिस आफ इंडिया को शामिल न करने की मांग की है | इस सम्बन्ध में हिन्दू मुस्लिम पक्षकारों की एक बैठक अयोध्या के हनुमान बाग़ में हुई जिसमे राम मंदिर मुकदमे के पक्षकार महंत धर्म दास के आलावा बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई हाशिम अंसारी भी मौजूद रहे | इस सम्बन्ध में दोनों पक्षकार दिसंबर माह में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिल सकते हैं
अयोध्या में हिन्दू पक्षकार महंत धर्मदास और बाबरी के मुद्दई इकबाल अंसारी ने सहमती पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति से की मांग

बैठक के दौरान मौजूद हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने तैयार किए गए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए पत्र में लिखा है कि माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में लंबित बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि विवाद को अविलंब निस्तारित करने हेतु हम पक्षकार स्वर्गीय बाबा अभिराम दास एवं मूल वाद के वादी हाशिम अंसारी के उत्तराधिकारी महंत धर्मदास एवं इकबाल अंसारी आपसी समझौते के आधार पर चाहते हैं कि पाया है कि बीते 29 अक्टूबर को इस मुकदमे में प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की इस टिप्पणी से कि यह कोई प्रायर्टीज वाला मुकदमा नहीं है न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है एवं इसकी लिस्टिंग फरवरी मार्च या अप्रैल 2019 में भी होगी या नहीं कोई निश्चित नहीं है , इससे आसपास है कि वर्तमान प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली इस बात का निस्तारण स्वयं नहीं करना चाहते या मुकदमे को मनमाने तरीके से लंबित रखना चाहते हैं | वह एक ऐसी मानसिकता का द्योतक बन गए हैं कि अगला आने वाला प्रधान न्यायाधीश भी इस मुकदमे की सुनवाई नहीं करेगा जिससे मुकदमा कभी निर्णित नहीं हो सकता |
विवादित ढाँचे के ध्वंस के लिए कोर्ट को ठहराया ज़िम्मेदार ,बोले इकबाल अंसारी नहीं हुआ जल्द फैसला तो देश में हो जायेगा आन्तरिक विद्रोह

पत्र में लिखा गया है कि हम लोग स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस मुकदमे के निस्तारण के लिए भारत के दो प्रमुख समुदायों के लोगों की आस्थाएं टिकी हुई है और न्यायपालिका इस मुकदमे के निस्तारण में अनायास मनमाने तरीके से विलंब कर रही है | जिसका दुष्परिणाम विवादित स्थल पर मौजूद संरचना को सन 1992 में एक समुदाय का कोप भाजन बनना पड़ा | जिसके लिए मुख्य रूप से न्यायपालिका को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए | पुनः यदि मुकदमे का निस्तारण अविलंब ना किया गया तो देश में आम जनता में अफरा-तफरी मच सकती है | जिसका परिणाम भारत को आंतरिक विद्रोह से भी जूझना पड़ सकता है | जिसके लिए न्यायपालिका को ही समय से अपने कर्तव्य के निर्वहन ना करने का दोषी माना जा सकता है एवं माना जाना चाहिए |
पक्षकारों ने कहा अगर फिर हुआ मंदिर मस्जिद को लेकर खून खाराब तो कोर्ट को माना जायेगा इसके लिए ज़िम्मेदार

समय काल एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए इस मुकदमे का अविलंब निस्तारण हेतु एक विशेष न्याय पीठ जिसमें भारत के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय की भागीदारी न हो उसका गठन किया जाना चाहिए | जिससे भारत की जनता को न्यायपालिका में भरोसा बना रहे एवं भारत को आंतरिक विद्रोह से बचाया जा सके तथा वाद का निस्तारण समयबद्ध सीमा में किया जा सके | इस पत्र के जरिए दोनों पक्षकारों ने अयोध्या के लोगों की ओर से भी राष्ट्रपति महोदय से अपील की है कि वह व्यक्तिगत रूचि लेकर सभी विधिक कार्रवाईयों के माध्यम से इस मुकदमे को अविलंब निस्तारित करने के लिए एक विशेष न्याय पीठ का गठन कराएं जिससे इस विवाद का हल हो सके | इस मुकदमे में फैसले के इंतजार में लंबा वक्त गुजार चुके महंत धर्मदास ने कहा कि बाबरी मस्जिद मुकदमे के मुद्दई हाशिम अंसारी फैसले का इंतजार करते हुए इस दुनिया से चले गए हम नहीं चाहते कि देश की जनता ऐसे ही इंतजार करती रहे अब इस विवाद का हल होना चाहिए |

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