राम नगरी अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है निर्माण कार्य के पहले चरण में समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है इस दौरान ट्रस्ट के कई सदस्यों ने परिसर में ही डेरा डाल दिया है। वहीं आज ट्रस्ट के अध्यक्ष ने परिसर में चल रहे कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे जहां रामजन्मभूमि परिसर में संपर्क मार्ग के से प्रवेश लिया इस दौरान परिषद के सभी मार्गों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई परिसर में पहुंचते ही महंत अमित गोपालदास ने प्राप्त अवशेषों को दिखा और चल रहे समतलीकरण कार्य का भी निरीक्षण किया जिसके बाद महंत नृत्य गोपाल दास ने रामलला के दरबार में भी हाजिरी लगाई। वही ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला की सुरक्षा व श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए दर्शन मार्ग के बारे में भी अवगत कराया। इस दौरान परिसर की सुरक्षा सख्त रही।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज रामजन्मभूमि परिसर में भगवान श्री राम लला के भव्य दिव्य मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। वही बताया कि परिसर में जो भी पत्थर व अवशेष मिले हैं यह सिद्ध करते हैं कि यहां बाबरी मस्जिद नहीं रामलला का दिव्य मंदिर था। और कई प्रकार के आवश्यक भगवान की कृपा से आज प्राप्त हुए हैं इससे सिद्ध होता है कि यही स्थान पर रामलला का मंदिर था है और आगे भी रहेगा। राम जी के राज में तैयारी कर ली गई है अब समय आ गया है भव्य मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि 6 दिसंबर 1992 में हुई कारसेवा के दौरान महंत नृत्य गोपाल दास उपस्थित रहे। उसके बाद से अभी तक परिसर में अपना कदम भी नहीं रखा। क्योंकि एक पुराची उनके अंदर कि जाम रामलला जहां विराजमान है वह भी कानून के शिकंजे में है जिसको लेकर वह वहां कहीं भी नहीं गए यही नहीं तमाम बाधाएं भी आती रही हैं सुरक्षा मानकों को देखते हुए। और अब सुप्रीम कोर्ट में निर्णय आने के बाद रामलला के मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है इसके साथ ही समतलीकरण कार्य के दौरान मिले अवशेषों को देखने की इच्छा प्रकट की थी जिसको लेकर आज महंत नृत्य गोपाल दास ने परिसर का निरीक्षण किया।
इस दौरान ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य अनिल मिश्र, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय पदाधिकारी राजेंद्र सिंह पंकज, शरद शर्मा, महंत शशिकांत दास व अन्य संत भी मौजूद रहे।