राम नगरी अयोध्या में हर साल होली से चार दिन पहले ही रंग भरी एकादशी के अवसर पर अयोध्या के प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल प्राचीन हनुमान के नागा परम्परा से जुड़े साधू संत हनुमान गढ़ी मंदिर में रखे हनुमंतलला के प्रतीक चिन्ह झंडे और निशान को लेकर मंदिर परिसर में ही जमकर होली खेलते है। इसके बाद जुलूस की शक्ल में नागा साधुओं की टोली बैंड बाजे के साथ अखाड़ों के पहलवानो के करतब दिखाते हुए अयोध्या की सड़कों पर निकलते हैं। हर आने जाने वाले लोगों को रंग से सराबोर कर देते हैं। चाहे वह महिला हो या पुरुष, नागा संतों का यह जुलूस अयोध्या के प्रमुख मार्गों से होता हुआ अयोध्या की परिक्रमा करता है। परिक्रमा पथ पर पड़ने वाले हर मंदिर में विराजमान भगवान् के विग्रह और मंदिर में मौजूद पुजारी और साधू संतो के साथ होली खेलता है। प्राचीन काल से चली आ रही है परम्परारंग भरी एकादशी के मौके पर नगर के हर मंदिर में भव्य स्वागत किया जाता है। हनुमानगढ़ी के नागा संत पुजारी रमेश दास की माने तो अयोध्या में यह परम्परा अनादिकाल से चली आ रही है और जब तक हनुमंत लला अबीर गुलाल के साथ होली न खेल लें, तब तक अयोध्या में फाग की शुरुआत नहीं होती है। इस वर्ष भी 17 मार्च को रंगभरी एकादशी के मौके पर हम सभी भगवान् के विग्रह के साथ होली खेलेंगे। इसके बाद ही अयोध्या में होली की शुरुआत होगी और यह पर्व 4 दिनों तक लगातार चलेगा।