अयोध्या के भरतकुण्ड नंदीग्राम गयापिंड का अपना अलग महत्व है। अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए पितृपक्ष में बड़ी संख्या में लोग यहाँ आकर श्राद्ध करते है।ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में भरत के आग्रह पर श्री राम ने अपनी पिता राजा दशरथ का श्राद यहीं किया था और हनुमान जी श्राद्ध के लिए गया से पूरी 16 विष्णु पद पिंडी उठा लाये थे जिसके बाद यही पर श्रीराम सहित चारों भाईयों के साथ पित्रात्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया।उसके बाद श्रीराम के आदेश पर हनुमान जी 1 पिण्डी यहाँ छोड़कर बाकी 15 पिंडी गया पहुचा आये। तब से लेकर बिना यहाँ आये, गया यात्रा का पुण्य नहीं मिलता और नंदीग्राम में पिण्डदान करने से पूर्वजो की आत्मा को शांति मिलती है। कहा जाता है कि अगर भरतकुंड में आपने पिंडदान नहीं किया तो आप का पिंडदान तर्पण नहीं माना जाएगा। इसी मान्यता को लेकर बिहार के गया जाने से पहले लोग अपने पूर्वजों को तर्पण के लिए भरतकुंड पहुंचते हैं।