नींव निर्माण की शुरुआत में लगा काफी समय हालांकि हजारों सालों तक अक्षुण्ण रहने वाले मंदिर के हिसाब से मजबूत नींव की निर्माण योजना और उसमें इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री फाइनल करने में ही कई महीनों का समय लग गया। इस साल 15 जनवरी से मंदिर नींव निर्माण की प्रक्रिया जरूर शुरू हुई। बीते हफ्ते से ही कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो नींव की भराई के काम में लगे 50 प्रशिक्षित श्रमिकों की संख्या बढ़ाकर दो सौ तक करने वाली थी, लेकिन कोरोना के खौफ के चलते यह योजना खटाई में पड़ गई। गनीमत यह है कि न केवल अभी भी 50 श्रमिक मंदिर निर्माण के काम में लगे हैं, बल्कि वे किसी प्रकार के संक्रमण से भी मुक्त हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर श्रमिकों की संख्या में जल्द ही नहीं बढ़ाई गई, तो आगामी अगस्त माह तक भूमि पूजन के एक वर्ष पूरा होने के बाद भी नींव की भराई का काम पूरा मुश्किल ही है।
नींव निर्माण में कई महीनों का समय दरअसल 360 फीट लंबे एवं 235 फीट चौड़े भव्य राम मंदिर की नींव परत दर परत भरी जा रही है। नींव कुल 44 परत से युक्त होनी है और दूसरी परत का काम इसी हफ्ते शुरू हुआ है। यानी एक परत का काम होने में कई हप्ते का समय लग गया। इसका मतलब यह नहीं है कि अकेले नींव की ही सभी 44 परत का निर्माण करने में 44 महीने लग जाएंगे। हालांकि यह तय है कि नींव निर्माण का काम मंदिर निर्माण के दूसरे आयामों की तरह काफी मुश्किल है। कोरोना संकट थमने के साथ श्रमिकों और दूसरे संसाधनों में तीन से चार गुना की वृद्धि कर अगस्त तक न सही, तो इस साल के अंत तक नींव निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि अपेक्षित मानचित्र के अनुरूप तराशी गई शिलाओं की शिफ्टिंग से पहले मंदिर का संपूर्ण परकोटा 10 से 12 फीट ऊंचे प्रतिष्ठान से भी आच्छादित होना है। इसके लिए चुनार से बड़ी मात्रा में पत्थर लाए जाने की भी प्रतीक्षा हो रही है।
तराशी का काम भी रुका आपको बता दें कि प्रस्तावित राम मंदिर में करीब चार लाख घन फीट तराशी गईं शिलाएं इस्तेमाल होनी हैं। जबकि अभी तक 60 हजार घन फीट शिलाओं की ही तराशी हो सकी है। बीते दिनों की तैयारियों के हिसाब से अब तक न केवल राजस्थान से पत्थरों की खेप लाए जाने का सिलसिला, बल्कि शिलाओं की तराशी का काम भी आगे बढ़ना था। फिलहाल रामघाट स्थित न्यास कार्यशाला से लेकर रामजन्मभूमि परिसर तक में शिलाओं की तराशी नहीं नजर आ रही है। 60 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा एवं 161 फीट ऊंचाई वाले प्रस्तावित मंदिर में एक शिखर तथा पांच उपशिखर सहित सिंहद्वार, रंगमंडप, नृत्यमंडप, गर्भगृह का निर्माण होना है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह काफी व्यापक निर्माण नियोजन से संभव है और इसके लिए आने वाले दिनों में कार्यदायी संस्था वर्तमान के हिसाब से कई गुना अधिक संसाधन भी झोंकने की तैयारी में है। हालांकि इसके लिए पहली शर्त कोरोना संकट थमने की है।
कोरोना के चलते काम में रुकावट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के मुताबिक कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के चलते निर्माण काम बाधित हो रहा है। उनका कहना है कि कोरोना संकट के चलते पूरे देश की गतिविधियां बाधित हैं और उसी क्रम में मंदिर निर्माण की भी गति भी प्रभावित हो रही हो, तो कोई आश्चर्य नहीं। तय 39 माह में अति भव्य राम मंदिर निर्माण पूर्ण करना आसान नहीं है और इसी कठिनाई को ध्यान में रखकर हाल की कुछ बैठकों के दौरान ट्रस्ट की ओर से यह बराबर स्पष्ट किया जाता रहा है कि अगर मौसम की अनुकूलता रही, तो मंदिर निर्माण का काम समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ता रहेगा। मौसम की प्रतिकूलता तो बरसात के दिनों में आएगी, अभी तो फिलहाल कोरोना संकट मौसम की प्रतिकूलता से कहीं ज्यादा भारी पड़ रही है।