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अयोध्या

Ram Mandir Case : रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने कहा खुदाई में मिले कछुए और मगरमच्छ की आकृति का मुस्लिम धर्म से नही है कोई जुड़ाव

रामलला विराजमान के अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील मस्जिद बनाने के लिए तोड़ा गया हिन्दुओं का मंदिर

अयोध्याAug 20, 2019 / 02:23 pm

अनूप कुमार

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में चल रही अयोध्या ( Ayodhya ) के बाबरी मस्जिद राम मंदिर ( Babari Masjid Ram Mandir Case ) मुकदमे की सुनवाई में चीफ जस्टिस आफ इंडिया रंजन गोगोई ( CJI ) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को नियमित रूप से हो रही इस मुकदमे की सुनवाई की . जिसमें रामलला विराजमान के पक्षकार के अधिवक्ता ने अयोध्या के विवादित स्थल स्थल पर पूर्व में भगवान राम का मंदिर होने का दावा करते हुए दलील दी की मस्जिद बनाने के लिए हिंदुओं के मंदिर को तोड़ दिया गया . रामलला विराजमान ( Ramlala Virajman ) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ( Advocate CS Vaidyanathan ) ने अपना पक्ष रखा . इतना ही नहीं रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने दावा किया कि विवादित स्थल पर एएसआई ( ASI ) की खुदाई के दौरान रिपोर्ट में यह बताया भी गया था कि खुदाई में मगरमच्छ और कछुए की आकृति पाई गई थी जो कि किसी मुस्लिम संस्कृति का हिस्सा नहीं है .
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रामलला विराजमान के अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील मस्जिद बनाने के लिए तोड़ा गया हिन्दुओं का मंदिर
मंगलवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने एएसआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित स्थल पर एक मंदिर ( Ram Mandir ) ही था . 12 वीं सदी के शिलालेख के अनुसार पत्थर की जिस पट्टी पर संस्कृत का यह लेख लिखा है, उसे विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था . जिसमें साकेत के राजा गोविंद चंद का नाम है साथ ही उस पर लिखा है कि यह विष्णु मंदिर ( Vishnu Mandir ) में लगी थी . यह भी बताया गया कि 115 सेंटीमीटर लंबाई और 55 सेंटीमीटर चौड़ा शिलालेख 4 सप्ताह तक राम कथा कुंज में रखा रहा . यह मस्जिद ढहने के बाद मिला इस पर विपक्ष की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई है .
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अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट से कहा वशेषों की वैज्ञानिक पड़ताल के बाद एसआईटी रिपोर्ट मौके से मिले सबूत से शंका या विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती

जिरह के दौरान संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या यह सब एएसआई द्वारा एकत्र किया गया था . जिस पर रामलला विराजमान के अधिवक्ता वैद्यनाथन ने कहा कि ये एएसआई की रिपोर्ट में शामिल नहीं था . एएसआई काफी बाद में आई थी ,सीएस वैद्यनाथन ने एएसआई का रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ कछुओं का जिक्र किया और कहा कि इनका मुस्लिम कल्चर से कोई मतलब नहीं था . वैद्यनाथन ने कहा खुदाई से मिले अवशेषों की वैज्ञानिक पड़ताल के बाद एसआईटी रिपोर्ट मौके से मिले सबूत से शंका या विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती यह सब 11 वीं सदी के दौरान ही निर्मित हैं .

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