मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम नगरी के सांस्कृतिक सीमा 84 कोसी के भीतर मानी जाती है जिसके तहत प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में साधु संत 84 कोसी परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा 135 किलोमीटर के बीच पांच जिलों अयोध्या गोंडा बस्ती अंबेडकर नगर और बाराबंकी से होकर गुजरती है। जिसे 22 दिन में पूरा किया जाता है। लेकिन इस वर्ष एक बार फिर कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए इस परिक्रमा को भी स्थगित कर दिया गया है।
चौरासी कोषी परिक्रमा के प्रभारी सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि श्रीराम नवमी के तत्काल बाद हनुमान मंडल अयोध्या के तत्वाधान में संचालन में कारसेवकपुरम से प्रस्थान कर मखभूमि मखौड़ा से प्रारंभ होकर अवध धाम के चौरासी कोस में चलती है। जो चैत्रपूर्णिमा से प्रारंभ होकर सीता नवमी तक अनवरत चलती आ रही है। इस दौरान श्रृंगीऋषि आश्रम, गोसाईगंज, तारून, आस्तीकन, जनमेजयकुंड, अमानीगंज, रूदौली, पटरंगा,पसका, वराही देवी, सूकर क्षेत्र आदि सीमावर्ती जिलों से होकर अयोध्या सरयू तट पर पहुंचती है। उन्होंने बताया इस बार भी कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखकर परिक्रमा स्थगित कर दिया गया है। जो इस बार 27 अप्रैल चैत्रपूर्णिमा को प्रारंभ होनी थी ।
विहिप मीडिया मीडिया प्रभारी शरद के अनुसार परंपरागत रूप से प्रत्येक वर्ष विश्व हिन्दू परिषद हनुमान मंडल के बैनर तले निकलने वाली चौरासी कोसी परिक्रमा में समलित होने वाले संत धर्माचार्यों की चिंता स्थानीय समाज के सहयोग से करती आ रही है। उन्होंने ने कहा देश के अनेक प्रांतों के संत धर्माचार्य अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा में समलित होने की प्रतीक्षा वर्ष भर करते हैं। यह परिक्रमा हमारी सामाजिक समन्वय धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा की अनमोल धरोहर है।इसको जीवंत रखना हमारा कर्तव्य है। लेकिन देश और समाज को सुरक्षित रखना उसके स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना भी आवश्यक है।हनुमान मंडल द्वारा इस बार कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हनुमान मंडल का परिक्रमा स्थगन का निर्णय समाजहित में है।