बता दें कि आठ मई को रानी की सराय चेकपोस्ट पर अखिलेश यादव और मायावती की संयुक्त सभा हुई थी। इसके बाद अगले दिन यानि नौ मई को पीएम मोदी ने सभा की। सपा ने पीएम की रैली का प्रभाव कम करने और मतदाताओं को अंतिम समय में सपा की तरफ मोड़ने के लिए दस मई को सभी पांच विधानसभाओं में अखिलेश यादव की सभा रखी गयी थी। सभा की तैयारियां भी पूर्ण हो चुकी थी लेकिन गुरूवार की देर शाम सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि सत्ता के दवाब में निर्वाचन से जुड़ी संस्थायें मुख्य रूप से जिला प्रशासन तकनीकी दृष्टि से इस चुनाव को रदद् कराने का बहाना ढूंढ रहा है। इसलिये चुनाव प्रचार के आखिरी दो दिन शेष रहते चुनाव मद में होने वाले खर्च की पूर्व निर्धारित दरों को संशोधित कर दिया गया है। सत्ता एवं प्रशासन की इस दुरभि संधि की आशंका के चलते शुक्रवार को आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में अखिलेश यादव की होने वाली पांच सभाओं को निरस्त कर दिया गया है।
इसके बाद से ही इस पर सियासत शुरू हो गयी थी। सपाई चुनाव में इसका लाभ लेने के लिए सोशल मीडिया पर सत्ता और प्रशासन पर हमले शुरू कर दिये थे। इसके बाद जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी को सामने आना पड़ा और उन्होंने खुलासा किया कि सभी आरोपों को निराधार है। सपा मुखिया और गठबंधन के प्रत्याशी अखिलेश यादव की सभा रद्द होने के लिए सपा ने खुद ही अनुरोध किया है। उन्होने कहा किं प्रशासन की तरफ से अखिलेश यादव की सभा करने लिए कोई अवरोध उत्पन्न नहीं किया गया है।
इसके बाद शुक्रवार की सुबह पूर्व सीएम अखिलेश यादव के निजी सचिव गंगाराम का पत्र वायरल हो गया जिसमें कहा गया है कि आजमगढ़ की चुनावी सभाओं का कार्यक्रम अपरिहार्य व्यस्तताओं के कारण निरस्त कर दिया गया है। इस संबंध में सरकार, पुलिस और जिला प्रशासन से आवश्यक कार्रवाई की मांग की गयी है। इस पत्र के सामने आने के बाद अब भाजपाई सपा पर हमलावर हो गए है। दोनों पक्षों में सोशल मीडिया पर आरोप प्रत्यारोप का खुला खेल खेला जा रहा है।
BY- RANVIJAY SINGH