बता दें कि जिले में प्रधान के 1858, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2104, ब्लाक प्रमुख के 22 व जिला पंचायत सदस्य के 84 सीटों के लिए आरक्षण सूची 03 मार्च को जारी की गयी थी। आरक्षण को लेकर 898 लोगों ने आपत्ति दाखिल की थी जिसका निस्तारण किया जा चुका है। प्रशासन 15 मार्च को आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन की तैयारी कर रहा था कि 12 मार्च को उच्च न्यायालय ने अंतिम सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी।
इसके बाद से ही गांवों का चुनावी माहौल बदला है। विकास भवन पर सन्नाटा पसरा है तो प्रत्याशी संसय में फंसकर प्रचार भी कम कर दिये है। दावतों का सिलसिला भी थम सा गया है। आज कोर्ट में आरक्षण पर सुनवाई होनी है तो सबकी नजर कोर्ट के फैसले पर टिकी है। आरक्षण पर आपत्तियां दर्ज कराने वाले 898 लोगों में नई उम्मीद जगी है। इन्हें भरोसा है कि अगर कोर्ट नए सिरे से आरक्षण का आदेश देती है तो उन्हें फायदा मिल सकता है। ऐसे में वे एक बार फिर सक्रिय हो गए है। सब मिलाकर गांवों का माहौल दिलचस्प हो गया है।
अब तक जो लोग जीत-हार का आंकलन करने में लगे थे, वहीं अब कोर्ट के आदेश के बाद नए दावेदारों की चर्चा शुरू कर दिए हैं। कुछ प्रत्याशी जो प्रचार में लगे थे उनको डर सता रहा है कि कहीं उनकी सीट बदल न जाए। क्षेत्र के कई गांवों में उलटफेर होने के अंदेशा की चर्चाएं चाय-पान की दुकानों पर खूब हो रही है।
BY Ran vijay singh