ये भी पढ़ें- यूपी में 3840 और हुए कोरोना संक्रमित, लखनऊ में मृतकों का आंकड़ा 100 पार मूल रूप से आजमगढ़ के तरवां निवासी अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को हुआ था। लेकिन उनकी शिक्षा कोलकाता में हुई और यहीं से उन्होंने राजनीति की शुरूआत की। वर्ष 1980 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। सपा के गठन के बाद इनकी पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ी और 1996 में अमर साइकिल पर सवार हो गये। इन्हें पार्टी में न केवल राष्ट्रीय महासचिव का पद मिला बल्कि वर्ष 1997 में इन्हें राज्य सभा सदस्य की कुर्सी भी मिल गयी। तीन बार वे राज्यसभा सदस्य रहे। वर्ष 2008 में केंद्र की यूपीए सरकार को बचाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
ये भी पढ़ें- प्रेमी दरोगा संग मिलकर महिला सिपाही ने रची कांस्टेबल पति की हत्या की साजिश, लेकिन फंस गए पति के जाल में जब मुलायम ने उन्हें पार्टी से निकाला- 6 जनवरी 2010 को अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद 2 फरवरी 2010 को मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद अमर ने 25 फरवरी 2010 को लोकमंच का गठन किया। 7 जुलाई 2011 को इनकी पार्टी को मान्यता मिली। इसके बाद इन्होंने 1 दिसंबर से 30 दिसबंर 2010 तक पूर्वांचल स्वाभिमान पद यात्रा निकली। यह यात्रा इलाहाबाद से गोरखपुर तक तीन चरणों में संपन्न हुई। अमर सिंह ने 1080 किमी यात्रा की। वोट फॉर नोट के मामले में 6 सितंबर 2011 को इन्हें गिरफ्तार किया गया। 24 अक्टूबर को इनकी रिहाई हुई।
ये भी पढ़ें- अमर सिंह के निधन पर अखिलेश यादव ने किया उन्हें याद, सीएम योगी व प्रियंका गांधी ने भी जताई संवेदना फिर हुई सपा में वापसी- वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पार्टी लोकमंत्र से प्रदेश की लगभग सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे, लेकिन पार्टी को प्रदेश के लोगों ने नकार दिया। चुनाव के बाद अमर सिंह की पार्टी छिन्न भिन्न हो गयी। अमर सिंह राज्यसभा सदस्य होने के बाद भी करीब चार साल हाशिए पर नजर आये, लेकिन अमर सिंह ने 22 मार्च 2016 को दि किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव आजमगढ़ के लोकापर्ण समारोह में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के साथ मंच शेयर कर सबको चैंका दिया था। इसके बाद न केवल उनकी सपा में वापसी हुई बल्कि मुलायम सिंह ने उन्हें फिर राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद भी अमर सिंह केंद्र की मोदी सरकार की तारीफ करते रहे।
अखिलेश ने फिर पार्टी से निकाल दिया- इसी बीच सपा में पारिवारिक कलह शुरू हुई तो अमर सिंह शिवपाल के समर्थन में खड़े नजर आये। जब सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आयी तो उन्होंने अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया। अमर सिंह खुलकर पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ खड़े नजर आये। इस दौरान कई बार उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरें आई, लेकिन वे बीजेपी में शामिल नहीं हुए।