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आजमगढ़

कभी राजनीति में किंग मेकर हुआ करते थे अमर सिंह, कई बार बनायी और बिगाड़ी सरकार

– यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान नोट फार वोट मामले में अमर (Amar Singh) को जाना पड़ा था जेल- कभी आजम खां (Azam Khan) को सपा से कराया था बाहर, आजमगढ़ की यादव लाबी से था छत्तीस का आंकड़ा- लोकमंत्र का गठन कर अमर सिंह ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उतारे थे प्रत्याशी लेकिन नहीं खुला था पार्टी का खाता- चर्चा में रही थी अमर सिंह की पूर्वांचल स्वाभिमान पद यात्रा, मिला था जोरदार समर्थन

आजमगढ़Aug 01, 2020 / 07:54 pm

Abhishek Gupta

Amar Singh

Amar Singh

आजमगढ़. भारतीय राजनीति में किंग मेकर के नाम से मशहूर अमर सिंह (Amar Singh) कभी अर्श तो कभी फर्श पर नजर आये। एक दौर था जब मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) वही करते थे जो अमर सिंह कहते थे। अमर सिंह के आगे आजम खां और सपा के अन्य कद्दावर नेता कभी नहीं टिके, लेकिन 2009-10 में सपा से अलग होने के बाद माना गया कि अमर सिंह की राजनीति का अंत है। खासतौर पर उस समय जब अमर सिंह ने लोकमंच का गठन किया और 2012 के चुनाव में उनकी पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर पाई। बहरहाल उन्होंने वर्ष 2016 में उन्होंने फिर सपा में वापसी की और राज्यसभा में पहुंच गए, लेकिन अखिलेश के सपा की कमान संभालने के बाद अमर सिंह फिर हाशिए पर चले गए। हाल में वे पूरी तरह पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ खड़े नजर आये। आज अमर सिंह ने अंतिम सांस ली। उनका निधन भारतीय राजनीति में अपूरणीय क्षति मानी जा रही है।
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मूल रूप से आजमगढ़ के तरवां निवासी अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को हुआ था। लेकिन उनकी शिक्षा कोलकाता में हुई और यहीं से उन्होंने राजनीति की शुरूआत की। वर्ष 1980 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। सपा के गठन के बाद इनकी पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ी और 1996 में अमर साइकिल पर सवार हो गये। इन्हें पार्टी में न केवल राष्ट्रीय महासचिव का पद मिला बल्कि वर्ष 1997 में इन्हें राज्य सभा सदस्य की कुर्सी भी मिल गयी। तीन बार वे राज्यसभा सदस्य रहे। वर्ष 2008 में केंद्र की यूपीए सरकार को बचाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
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जब मुलायम ने उन्हें पार्टी से निकाला-

6 जनवरी 2010 को अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद 2 फरवरी 2010 को मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद अमर ने 25 फरवरी 2010 को लोकमंच का गठन किया। 7 जुलाई 2011 को इनकी पार्टी को मान्यता मिली। इसके बाद इन्होंने 1 दिसंबर से 30 दिसबंर 2010 तक पूर्वांचल स्वाभिमान पद यात्रा निकली। यह यात्रा इलाहाबाद से गोरखपुर तक तीन चरणों में संपन्न हुई। अमर सिंह ने 1080 किमी यात्रा की। वोट फॉर नोट के मामले में 6 सितंबर 2011 को इन्हें गिरफ्तार किया गया। 24 अक्टूबर को इनकी रिहाई हुई।
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फिर हुई सपा में वापसी-

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पार्टी लोकमंत्र से प्रदेश की लगभग सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे, लेकिन पार्टी को प्रदेश के लोगों ने नकार दिया। चुनाव के बाद अमर सिंह की पार्टी छिन्न भिन्न हो गयी। अमर सिंह राज्यसभा सदस्य होने के बाद भी करीब चार साल हाशिए पर नजर आये, लेकिन अमर सिंह ने 22 मार्च 2016 को दि किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव आजमगढ़ के लोकापर्ण समारोह में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के साथ मंच शेयर कर सबको चैंका दिया था। इसके बाद न केवल उनकी सपा में वापसी हुई बल्कि मुलायम सिंह ने उन्हें फिर राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद भी अमर सिंह केंद्र की मोदी सरकार की तारीफ करते रहे।
अखिलेश ने फिर पार्टी से निकाल दिया-

इसी बीच सपा में पारिवारिक कलह शुरू हुई तो अमर सिंह शिवपाल के समर्थन में खड़े नजर आये। जब सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आयी तो उन्होंने अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया। अमर सिंह खुलकर पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ खड़े नजर आये। इस दौरान कई बार उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरें आई, लेकिन वे बीजेपी में शामिल नहीं हुए।

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