इसलिए भाजपा ने बनाया प्रत्याशी केशरी देवी के साथ पटेल विरादरी के साथ बसपा का कोर कार्यकर्ता भी जुड़ा है जो सपा बसपा के गठबंधन के लिए मुसीबत बन सकता है। केसरी देवी पटेल बहुजन समाज पार्टी के कैडर से 10 साल तक जुड़ी रही हैं। उनके बेटे बसपा से ही विधायक हुए। भले ही अब केशरी देवी बसपा छोड़ भाजपा में आ गई हों लेकिन बहुजन समाज पार्टी के मूल वोट बैंक में आज भी उनकी पकड़ मजबूत
नीलम को दोबारा मौका वहीं नीलम सोनकर की बात करें तो 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लालगंज सुरक्षित सीट पर वो 16वीं लोकसभा के लिये निर्वाचित हुई। 1962 में स्तित्व में आई इस सीट पर पहली बार भाजपा ने 2014 में लोकसभा का चुनाव जीता था इसके पहले इस सीट पर कभी कमल नहीं खिला। मुस्लिम-दलित बहुल लालगंज की बात करें तो इस बार यहां से कई दावेदार किस्मत आजमाने के लिए टिकट की रेस में थे। आखिरकार पार्टी ने एक बार फिर नीलम पर भरोसा जताया है। 2017 के विधानभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली पांच विधानसभा सीटों में बीएसपी और एसपी को दो-दो सीटें और बीजेपी को एक ही सीट पर जीत मिली थी। इस चुनाव में दावेदारों की रेस में श्रीराम सोनकर गोवर्धन राम समेत कई बड़े नेता थे लेकिन नीलम को पार्टी ने दोबारा मौका दे दिया है। मौका दिया है।