गौर करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की 46,13,913 है। इसमें 22,85,004 पुरुष तथा 23,28,909 महिलाएं है। इस हिसाब से महिलाओं की आबादी पुरूषों से 43905 अधिक है। अनुपात देखें तो प्रति एक हजार पुरूष पर 1017 महिलाएं है। यहां महिलाओं का साक्षरता प्रतिशत भी 60.91 प्रतिशत है। आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा आती है। यहां कुछ मतदाताओं की संख्या 17,70,635 है। इसमें 9,62,890 पुरुष तथा 8,07,668 महिला तथा 77 अन्य मतदाता है। विधानसभावार देखे तो इस संसदीय क्षेत्र में आने वाले गोपालपुर विस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3,37,370 है। इसमें 1,86,030 पुरुष तथा 1,51,333 महिला व 07 अन्य मतदाता है।
इसी तरह सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 3,27,570 है। इसमें 1,78,880 पुरुष तथा 1,48,683 महिला एवं 07 अन्य मतदाता हैं। मुबारकपुर में मतदाताओं की कुछ संख्या 3,32,796 है जिसमें 1,79,467 पुरुष, 1,53,299 महिला व 30 अन्य मतदाता हैं। आजमगढ़ विस क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 3,77,689 है जिसमें 2,04,705 तथा 1,72,980 महिला व 13 अन्य मतदाता हैं। मेंहनगर सुरक्षित विस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3,95,201 है। इसमें 2,13,808 पुरुष, 1,81,373–महिला तथा 20 अन्य मतदाता है।
यदि देखा जाये तो पुरूष मतदाता जातिगत के साथ ही दलगत आधार पर भी बंटा हुआ है। जबकि राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं की संख्या नहीं के बराबर है। पुरूषों की अपेक्षा इनका मत भी अधिक पोल होता है। कारण कि 20 से 25 प्रतिशत पुरूष कामकाज के चक्कर में शहर से बाहर हैं। जबकि कामकाजी महिलाओं की संख्या पांच प्रतिशत से अधिक नहीं है जो घर से बाहर रहकर नौकरी करती है। ऐसे में किसी भी प्रत्याशी की जीत में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होनी है। गठबंधन प्रत्याशी सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं तो दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ भोजपुरी सिनेस्टार है। एक नेता तो दूसरा अभिनेता। अखिलेश का क्रेज जितना महिलाओं व युवाओं के बीच है उससे कहीं कम निरहुआ का भी नहीं है।
भोजपुरी सिनेमा में लंबे अर्से से जमे होने के कारण इनका चेहरा पहचान को मोहताज नहीं है। रोड शो हो या जनसभा निरहुआ को देखने के लिए लोग चिलचिलाती धूप में भी घंटों इंतजार करते हैं। सेल्फी लेने की होड़ लगी है। वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपने नामाकंन में भीड़ जुटाकर साबित कर चुके हैं कि उनका भी क्रेज निरहुआ से कम कम नहीं है। मतदाता किसको वोट देंगे यह तो कह पाना मुश्किल है लेकिन इस बार मुलायम के गढ़ में निर्णायक की भूमिका में आधी आबादी होती दिख रही है।
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने हाल में जया प्रदा को लेकर की गयी अभद्र टिप्पणी से सपा थोड़ा असहज हुई है। वहीं भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर भुनाना चाहती है। भाजपाई इसे आधी आबादी का अपमान बता रहे हैं। भाजपा महिला प्रकोष्ठ घर घर जाकर इसे भुनाने की कोशिश कर रही है। इससे सपाई भी वाकिफ है। यहीं वजह है कि अखिलेश यादव को भी आजम के बयान की निंदा करनी पड़ी है। अब लड़ाई इसी बात की है कि सपा महिलाओं के बीच जाकर कितना डैमेज कंट्रोल कर पाती है और भाजपा इसे किस हद तक भुना पाती है। महिला मतदाता अधिक संख्या में जिसके साथ जाएंगी जीत का सेहरा उसके सिर बंधना तय है।