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आजमगढ़

अखिलेश का टिकट फाइनल होते ही BJP में बगावत!, दिग्गज भाजपा नेता बोले मेरे घर में बनाएं चुनाव कार्यालय

भाजपा में लम्बे समय से हाशिये पर चल रहे हैं पूर्व राज्यमंत्री आईपी सिंह ने दिया ऑफर।
बागी तेवर के चलते योगी ने भी कर लिया है आईपी सिंह से किनारा।
पत्रिका से बातचीत में आईपी सिंह ने अपने टि्वट की पुष्टि किया।

आजमगढ़Mar 24, 2019 / 08:30 pm

रफतउद्दीन फरीद

Akhilesh yadav IP Singh

अखिलेश यादव आईपी सिंह

आजमगढ़. सपा मुखिया अखिलेश यादव के आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा में बगावत के सुर तेज हो गए है। कल्याण सरकार में राज्यमंत्री रहे आइपी सिंह ने अखिलेश यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने पर न केवल खुशी जताई है बल्कि ट्वीट के जरिये अपने घर को चुनाव कार्यालय बनाने का ऑफर भी दे दिया है। आईपी सिंह को सीएम योगी का बेहद करीबी माना जाता है लेकिन हाल में उनके बगावती तेवर को देखते हुए सीएम ने उनसे दूरी बना ली है।
https://twitter.com/yadavakhilesh?ref_src=twsrc%5Etfw
 

वह एक के बाद एक लगातार पार्टी विरोधी टि्वट कर रहे हैं। एक अन्य टि्वट कर उन्होंने वंशवाद को लेकर भी बीजेपी पर खुलकर हमला बोला है तो दूसरे में 10 लाख का सूट और 100 करोड़ की रैली की बात करते हुए बिना नाम लिये पीएम नरेन्द्र मोदी पर भी हमला किया है। बीजेपी नेता के आफर ने जहां पार्टी की परेशानी बढ़ा दी हैं वहीं सपाई उत्साहित दिख रहे हैं।
बता दें कि समाजवादी पार्टी ने रविवार की सुबह अखिलेश यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इसके तत्काल बाद आईपी सिंह ने ट्वीट किया कि “माननीय अखिलेश यादव जी का आजमगढ़ पूर्वांचल से लोकसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा होने के बाद पूर्वांचल की जनता में खुशी की लहर, युवाओं में जोश, आपके आने से पूर्वांचल का विकास होगा, जाति और धर्म की राजनीति का अंत होगा, मुझे खुशी होगी यदि मेरा आवास आपका चुनाव कार्यालय बने“,। आईपी सिंह का यह ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है।
IP Singh
 

आइपी सिंह पिछले कुछ दिनों से पार्टी के शीर्ष नेताओं से नाराज चल रहे हैं। बीजेपी के सभी नेता जहां ट्विटर पर अपने नाम के पहले ’चौकीदार’ चुके हैं, वहीं आईपी सिंह इसके बजाय अपने नाम के पहले ’उसूलदार’ जोड़ा है। प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल को लेकर कई बार वह ट्वीट कर अपनी भड़ास निकाल चुके हैं। उनकी बगावत के पीछे का प्रमुख कारण 2017 के चुनाव में उन्हें आजमगढ़ सदर से विधानसभा का टिकट न मिलना माना जा रहा है। रहा सवाल आईपी सिंह के राजनीतिक कैरियर का तो छात्र जीवन में वे एबीवीपी से जुड़े। वो लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ महामंत्री भी रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान वह तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के साथ चुनाव प्रचार में लगे हुए थे।
Akhilesh Yadav
 

साल 2014 के चुनाव के पूर्व जब बसपा के दागी नेता बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी में शामिल किया गया तो प्रदेश कार्यकारिणी में रहते हुए आईपी सिंह ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए पार्टी ने निलंबित कर दिया था। बाद में उन्हें पार्टी ने वापस ले लिया था। अब एक बार फिर उनके बगावती तेवर ने पार्टी को असहज कर दिया है। ऐसे समय में जब बीजेपी एक एक सीट को जीतने के लिए सोशल इंजीनियरिंग कर रही है उस समय आईपी सिंह का यह बगावती रूख पार्टी पर भारी पड़ सकता है। कारण कि आईपी सिंह आजमगढ़ शहर से सटे उकरौड़ा के रहने वाले हैं। बीजेपी का सबसे ज्यादा वोट शहरी क्षेत्र में ही माना जाता है। चर्चा तो यहां तक शुरू हो चुकी है कि बीजेपी में हाशिए पर जाने और सीएम योगी के उनकी ओर से मुंह मोड़ने के बाद आईपी सिंह सपा का दामन भी थाम सकते हैं।
By Ran Vijay Singh

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