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आजमगढ़

पंचायत चुनाव की तैयारियों से पहले बीजेपी ने खेला मास्टर स्ट्रोक, विपक्ष की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

– यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक- पंचायत चुनाव में अति पिछड़ों और दलितों को मौका देकर विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश

आजमगढ़Mar 15, 2020 / 05:20 pm

Hariom Dwivedi

BJP master stroke

यूपी पंचायत चुनाव में इस बार बीजेपी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी है, ऐसे में चुनाव दिलचस्प होना तय है

आजमगढ़. कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के कारण पूर्व में कई बार सत्ता से बाहर हो चुकी बीजेपी इस बार 2022 को लेकर काफी सजग है। विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी न केवल कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखना चाहती है बल्कि ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक का चुनाव कार्यकर्ताओं को लड़ाकर अपनी ताकत का आंकलन करने के साथ ही विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे पिछड़े नेताओं की अनदेखी का जवाब भी देना चाहती है। इस चुनाव में बीजेपी का पूरा फोकस पिछड़े और दलितों पर होगा, अगर बीजेपी का यह प्रयोग सफल रहा तो निश्चित तौर पर विपक्ष की मुश्किल बढ़ेगी। कारण कि आज भी भाजपा को शहरों की पार्टी कहा जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में विपक्ष उसपर हमेशा भारी पड़ा है।
आजमगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो यहां 86 जिला पंचायत सदस्य सीट हैं। इसके अलावा 2145 क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), 1871 ग्राम प्रधान, 23000 सदस्य ग्राम पंचायत पद है। इन पदों पर अक्टूबर 2020 में चुनाव होना तय माना जा रहा है। इस चुनाव के बाद जनवरी 2011 में ब्लाक प्रमुख की 22 और जिला पंचायत अध्यक्ष की एक सीट के लिए चुनाव होगा। वर्तमान में जिले में बीजेपी के सिर्फ तीन ब्लाक प्रमुख है। जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर सपा का कब्जा है। पिछले चुनाव में अन्य पदों पर बीजेपी नहीं लड़ी थी।
इस मामले में सपा से आगे है बीजेपी
इस बार बीजेपी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी है। ऐसे में चुनाव दिलचस्प होना तय है। कारण कि अपरोक्ष रूप से ही सही विपक्ष पहले से ही अपने कार्यकर्ताओं को ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ता रहा है। चुनाव तैयारियों की बात करें तो सपा बीजेपी के अपेक्षा सर्वाधिक पिछड़ी हुई है। भाजपा जिला इकाइयों की घोषण कर जहां कार्यसमितियों की बैठक कर आगे का एजेंडा तैयार कर रही है वहीं, सपा अभी तक जिलाध्यक्षों का चुनाव तक नहीं कर पाई है। सपा की सभी इकाइयां भंग चल रही हैं। इसके विपरीत बीजेपी ने पंचायत चुनाव के पहले 19 व 20 मार्च को प्राथमिक विद्यालयों में जाकर शिक्षकों, छात्र-छात्राओं व अभिभावकों के बीच प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जा रही शिक्षा की योजनाओं पर चर्चा करने का फैसला किया है। इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ता सीएचसी व सीएचसी में लगने वाले आरोग्य मेला में शामिल होकर उपचार में लोगों की मदद करने की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिये है। यह कार्यक्रम पूरा होने के बाद आगे की रणनीति पर पार्टी काम शुरू करेगी।
एक तीर से दो निशाने
सूत्रों की मानें तो पंचायत चुनाव के पहले बीजेपी जहां घर-घर तक पहुंच बनायेगी, वहीं छोटे कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने का मौका देकर उनके मनोबल को ऊंचा करेगी। इससे एक फायदा यह होगा कि पंचायत में आरक्षित सीटें काफी संख्या में होगी जिनपर अति पिछड़ों और दलितों को चुनाव लड़ा पार्टी न केवल अपनी ताकत परखेगी बल्कि विपक्ष के वोट बैंक में सेंध भी लगाने की कोशिश करेगी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह 2022 से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है।
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