बता दें कि भाजपा अस्तित्व में आने के बाद से अब तक एकाध मौकों को छोड़ दिया जाय तो कभी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी है। यहां तक की राम लहर और मोदी लहर में भी सपा बसपा बीजेपी पर भारी पड़ी हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जरूर पार्टी का प्रदर्शन दमदार रहा था। बीजेपी को दस विधानसभा सीटों में से सफलता मात्र एक पर जरूर मिली थी लेकिन पहली बार पार्टी चार सीटों पर रनर बनकर उभरी थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक साल बाकी है।
विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में पंचायत चुनाव हो रहा है। सभी दल इसे यूपी की सत्ता का सेमीफाइनल बता रहे है। खास बात है इस पंचायत चुनाव में सभी छोटे बड़े दल अपने प्रत्याशी उतार रहे है। पहली बार बीजेपी ने भी समर्थित उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। पार्टी इस चुनाव को पूरी गंभीरता से ले रही है। विधानसभा चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी बूथ स्तर पर बीजेपी काम कर रही है।
इस चुनाव में सर्वाधिक चर्चा में ओवैसी की पार्टी है जो ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा सहित नौ दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी है। अब तक इस गठबंधन ने जिला पंचायत के 23 उम्मीदवारों की सूची जारी की है जिसमें अल्पसंख्यकों को खास प्राथमिकता दी गयी है।
अब भाजपा ने सभी 84 सीटों पर उम्मीदवार का एलान कर दिया है। बीजेपी ने उम्मीदवार के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है। ऐसी कोई जाति नहीं है जिसका उम्मीदवार बीजेपी ने मैदान में न उतारा हो। यादव व दलितों को खास प्राथमिकता दी गयी है जो सपा और बसपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है। वहीं पार्टी ने अति पिछड़ा और अति दलितों को खास तबज्जो दी है। सवर्णो को उन सीटों पर मौका दिया गया है जहां वे जीतने में सक्षम हैं। भाजपा की सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं जो चर्चा की विषय है।