गौर करें तो कभी सपा के पास आजम खां तो बसपा के पास नसीमुद्दीन सिद्दीकी बड़ा मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे। पिछले चुनाव में ही नसीमुद्दीन ने बसपा का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वर्ष 2022 के चुनाव से पूर्व पिछले दिनों मायावती ने आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर सीट से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल का नेता बनाकर मुस्लिम समुदाय को बड़ा मैसेज देने का प्रयास किया था। कहीं न कहीं मायावती अपने दाव में सफल भी रही थी। पूर्वांचल के मुसलमानों में जमाली के प्रोन्नति का प्रभाव पड़ा था लेकिन मायावती का यह दाव भी अब फेल हो चुका है।
गुड्डू जामली बसपा में सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। हाल में मायावती ने जिस तरह से जमाली पर हमला बोला उससे साफ है कि अब जमाली की बसपा में वापसी संभव नहीं है। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी जमाली के अगले कदम का इंतजार कर रही है। हाल में आजमगढ़ आए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने स्वयं जमाली की तारीफ कर पार्टी में आने पर उनके स्वागत की बात कही थी। चर्चा भी है कि जमाली समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में नई पारी की शुरूआत कर सकते हैं।
जमाली के बसपा छोड़ने के बाद अब बसपा के पास एक भी बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं बचा है। पूर्वांचल में दो दर्जन से अधिक सीटे ऐसी है जिसपर मुस्लिम वोट निर्णायक साबित होता रहा है। केवल आजमगढ़ जिले की चार व मऊ की एक सीट पर हमेंशा से मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में रहा है। ऐसे में मायवती की मुश्किल बढ़नी तय मानी जा रही है। कारण कि बिना मुस्लिम मतोें के सहयोग के सपा या बसपा के लिए पूर्वांचल में जीत हासिल करना आसान नहीं होगा।