बता दें कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की घोषणा आजमगढ़़ सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा शासन के दौरान किया था। अखिलेश सरकार में ही इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी, लेकिन 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। इसके बाद सपा और भाजपा में इस प्रोजेक्ट को लेकर विवाद शुरू हुआ जो आज भी जारी है। सपा इसे अपना तो बीजेपी अपना प्रोजेक्ट बताती फिर रही है।
अब इसे सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना में गिना जाता है। 340 किमी लंबी परियोजना के तहत लखनऊ से आजमगढ़ होते हुए गाजीपुर तक छह लेन की सड़क का निर्माण होना था। अब इसे बढ़ाकर बलिया तक कर दिया गया है। आजमगढ़ में यह सड़क सैकड़ों गांव से होकर गुजरी है। तहसील वार देखे तो सदर तहसील के 41 गांव, सगड़ी तहसील के 15 गांव, निजामाबाद तहसील के 22 गांव तथा फूलपुर तहसील के 32 गांव से होकर यह एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है।
सीएम योगी ने किया था वादा- कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लाक डाउन से पहले सीएम योगी ने एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण किया था। उस समय सीएम ने वादा किया था कि एक्सप्रेस-वे पर यातायात अगस्त 2020 में शुरू जाएगा। एक्सप्रेस वे को लेकर लोग काफी आशान्वित थे। कारण कि इसपर यातायात शुरू होने का मतलब है कि जाम से छुटकारा मिलना और राजधानी पहुंचना बेहद आसान होना लेकिन आजमगढ़ के नोडल अधिकारी व सचिव लोक निर्माण विभाग रंजन कुमार ने एक्सप्रेस-वे के निरीक्षण के बाद लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने किशुनदासपुर में चल रहे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पैकेज-6 का स्थलीय निरीक्षण किया। ठेकेदार से बातचीत की। ठेकेदार द्वारा बताया कि यह मार्च 2021 तक बनकर पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि इस पर यातायात मार्च 2021 में शुरू होगा।