बता दें कि 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुल्लतानपुर में एक्सप्रसे-वे का लोकापर्ण किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले सपाइयों ने आजमगढ़ व मऊ में कई स्थानों पर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकापर्ण कर यह दावा किया था कि यह प्रोजेक्ट उनका है। इसके बाद 17 को विजय रथ से पूर्वांचल पहुंचे अखिलेश यादव ने भी गाजीपुर से आजमगढ़ तक यह दावा किया कि यह पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उनका है।
अब केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है तो फिर इसका श्रेय लेने की होड़ मची है। बीजेपी इसे किसानों की राय पर लिया गया फैसला बता रही है। तो सपा का दावा है अखिलेश यादव की रथयात्रा के दौरान पूर्वांचल में मिले अपार जन समर्थन को देखते हुए बीजेपी सरकार ने डरकर यह फैसला लिया है।
मुलायम सिंह यादव की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राम आसरे विश्वकर्मा ने कहा कि किसानों का अनवरत आंदोलन और यूपी में सपा मुखिया अखिलेश यादव की पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर रथयात्रा के दौरान ऐतिहासिक समर्थन देख सरकार डर गयी और कृषि कानून को वापस लेने का आश्वासन दिया है। मुझे भरोसा है कि सरकार इस काले कानून को वापस लेगी। सपा को मिल रहे अपार जनसमर्थन से सरकार घबराई हुई है। वहीं पूर्व विधायक नफीस अहमद ने कहा कि अखिलेश यादव को यूपी में मिल रहे अपार जनसमर्थन से सरकार डरी हुई है। इसलिए यह कानून वापस लेने का फैसला किया गया है।
वहीं बीजेपी सपाइयों के बयान को बौखलाहट बता रही है। बीजेपी सरकार एक संवेदनशील सरकार है। जन भावनाओं का आदर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेने का फैसला किया है। यह किसानों की मांग को देखते हुए निर्णय लिया गया है। आगे भी करती रहेगी। मोदी के फैसले से साबित हो गया है कि हम किसानों की राय लेकर उनके लिए बेहतर करने का प्रयास करेंगे।