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आजमगढ़

एकाएक बदले मौसम ने किसानों को किया बेहाल, अरमानों पर फिर सकता है पानी

-नमी खेतों से गायब लेकिन तेज हवा के कारण किसान नहीं कर पा रहे सिंचाई
-अधिक तापमान के कारण तेजी से सूख रही फसल, कम हो सकता है उत्पादन
-कृषि वैज्ञानिक बोले खेतों में नमी बरकरार रख ही अच्छा उत्पादन कर सकते हैं किसान

आजमगढ़Mar 03, 2021 / 06:27 pm

रफतउद्दीन फरीद

गेंहू की फसल

गेंहू की फसल

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़। एकाएक मौसम में आए बदलाव ने किसानों की मुश्किल बढ़ा दी है। लगातार बढ़ रहे तापमान से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। खासतौर पर गेंहू की फसल पर। तेज धूप के कारण खेतों की नमी समाप्त होती जा रही है लेकिन हवा तेज होने के कारण किसान सिंचाई नहीं कर पा रहा है। कारण कि फसल के गिरने का खतरा है। सिंचाई न होने की स्थिति में गेंहू के दाने पतले हो जाएगे। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। इसके किसानों को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि इस बार रबी के सीजन में एक बार भी बरसात नहीं हुई जिसके कारण किसानों को तिलहनी से लेकर दलहनी तक की सिंचाई करनी पड़ी। जो गेंहू की फसल दो बार सिंचाई में तैयार हो जाती थी इस बार तीन बार सिंचाई के बाद भी खतरे में दिख रही है। कारण कि एक तो बरसात नहीं हुई दूसरे समय से पहले तापमान काफी बढ़ गया है। एक एक सप्ताह से तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक देखने को मिल रहा है। तेज हवा भी चल रही है जिससे खेत की नमी तेजी से सूख रही है।
फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. आरपी सिंह का कहना है कि बढ़े तापमान का प्रभाव गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा, गेहूं के दाने पतले और कम गुणवत्ता वाले होंगे, इस बीच हवा चलती रही तो किसान पर दोहरी मार पड़ सकती है। पकी हुई फसल फलियों के बोझ से भारी हो गई है। इससे उनके गिरने का खतरा है। बढ़े तापमान से खेत की नमी सूख जा रही है। दानों को पुष्ट होने के लिए मिट्टी में नमी और मौसम में सर्दी का प्रभाव बने रहना अभी आवश्यक था, किंतु बदला मौसम फसल के प्रतिकूल हो गया है।
मौसम के इस रुख का प्रभाव गेहूं पर ही ज्यादा पड़ेगा। वह भी छिटकवा विधि से बोए गए पौधों में नुकसान की आशंका ज्यादा होती है क्योंकि उनकी जड़ें गहराई तक नहीं जातीं और कमजोर होती हैं। रबी की अन्य फसलें चना, मटर, सरसों, दलहन-तिलहन पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। गेहूं के नुकसान को कम करने के लिए किसान बंधुओं को चाहिए कि हवा रूकने पर हल्की सिंचाई करें। इससे कुछ हद तक नुकसान को कम किया जा सकता है। ध्यान रखें कि सिंचाई हल्की ही करें, ज्यादा पानी भर देने से जड़ें कमजोर हो जाएंगी और हवा की गति बढ़ी तो फसल के गिरने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।

BY Ran vijay singh

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