हालत यह है कि धान की बालिया तेजी से काली पड़ रही हैं। दवा का छिड़काव भी बेअसर साबित हो रहा है। किसान राम नरायन सिंह, रामजीत सिंह, प्रमोद सिंह, मार्कंडेय सिंह, मिथिलेश पांडये, संतोष राम, राम अवध राम, राम अजोर यादव कहते हैं कि इस बार धान की फसल से काफी उम्मीद थी। कारण कि पिछले वर्षो की अपेक्षा इस बार समय से बारिश शुरू हुई। जिसके कारण धान रोपाई के समय सिंचाई पर होने वाले खर्च में काफी कमी आयी। समय समय पर बरसात होने के कारण फसल में बालियां भी अच्छी लगी थी। उम्मीद थी कि अच्छा उत्पादन होगा और पिछली फसल के नुकसान की कुछ भरपाई होगी लेकिन रोग ने फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया।
वहीं कृषि वैज्ञानिक डा. आरके सिंह की मानें तो धान की देरी से रोपी गई विशेष कर संकर (हाइब्रिड) प्रजातियों के अलावा जल भराव वाले खेतों में यह रोग लग रहा है। यह बहुत ही हानिकारक रोग है। यह रोग एक बीज जनित बिमारी है जो बीज के जरिए होता है। इसलिए बुआई से पूर्व बीज का शोधन करना जरूरी होता है। इसके लिए बुआई से पूर्व कार्बेंडाजिम की दो ग्राम या ट्राइकोडर्मा की पांच ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा बीज शोधन करने के बाद बुआई करना चाहिए। साथ ही खेतों में यूरिया का प्रयोग कम से कम करना चाहिए।
प्रमाणित एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों के बीजों का चयन करना चाहिए। वर्तमान में इस रोग के प्रकोप को देखते हुए किसान अपने फसलों की सतत निगरानी करते रहे। अगर कोई बिमारी ग्रसित पौधा दिखे तो उसे उखाड़कर नष्ट कर दें और खेत से पानी निकाल दें।
BY Ran vijay singh