जिले की दोनों सीटों को सत्ताघारी दल और गठबंधन ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट को बचाने के लिए खुद सपा मुखिया
अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो लालगंज में गठबंधन ने बाहरी के तोहमत से बचने के लिए प्रत्याशी बदल दिया है। यहां घूरा राम पहले गठबंधन के प्रत्याशी थे अब संगीता सरोज यहां से ताल ठोक रही है। वहीं
बीजेपी ने सांसद नीलम सोनकर पर दोबारा दाव लगाया है। टिकट न मिलने से नाराज पूर्व सांसद दरोगा प्रसाद सरोज मंगलवार को बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो गए। इसके बाद लालगंज में भी चुनाव दिलचस्प हो गया है।
बात दें कि वर्ष दरोगा प्रसाद वर्ष 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर लालगंज सीट से चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में उन्हें बसपा से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 1998 में दरोगा सरोज ने यहां से सांसद चुने गए। 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में सपा अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए तीसरी बार दरोगा सरोज को मैदान में उतारा था, लेकिन इस बार बसपा प्रत्याशी डा. बलिराम से हार का सामना करना पड़ा था। 2004 में सपा के दरोगा सरोज बसपा के डा. बलिराम को हराकर दूसरी बार सांसद चुने गए थे। वर्ष 2009 में के चुनाव में सपा ने दरोगा पर फिर दाव लगाया लेकिन वे तीसरे स्थान पर चले गए। उस चुनाव में बसपा के डा. बलिराम निर्वाचित हुए थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी नीलम सोनकर दूसरे स्थान पर थीं, जबकि सपा के दरोगा सरोज को 147182 वोट मिले थे। दरोगा को उम्मीद थी कि 2014 में सपा उन्हें फिर मौका देगी लेकिन सपा ने बेचई सरोज को उम्मीदवार बना दिया और इसी बात से नाराज होकर दरोगा बीजेपी में शामिल हो गए थे।
बीजेपी ने भी दरोगा को टिकट नहीं दिया बल्कि नीलम सोनकर पर दाव लगाया और वे मोदी लहर में भाजपा का खाता खोलने में सफल हो गए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दरोगा को लालगंज से विधानसभा लड़ाया लेकिन वे मामूली अंतर से चुनाव हार गए। वर्ष 2019 में वे लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन पार्टी ने फिर नीलम को टिकट दे दिया। इससे नाराज होकर दरोगा मंगलवार को लखनऊ पहुंचकर सपा ज्वाइन कर लिए। दरोगा सरोज का चुनाव के समय सपा में जाना बीजेपी के लिए झटका माना जा रहा है लेकिन दरोगा के इसी कदम ने चुनाव में लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ा दी है।
कारण कि दरोगा के पुत्र पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रमोद सरोज पिता के इस कदम में उनका साथ नहीं दिया है। वे भाजपा में बने हुए है। उनका कहना है कि सबकी अपनी विचारधारा है। उनके पिता सपा में जाना चाहते थे चले गए लेकिन वे भाजपा और पीएम मोदी के साथ है। कारण कि उन्हें पीएम मोदी की नीति और नियत दोनों पर भरोसा है। वहीं इस देश को आगे ले जाने में सक्षम है। वे भाजपा में थे है और रहेंगे। बीजेपी को लालगंज में जीत दिलाना उनका मात्र एक लक्ष्य है। प्रमोद के रूख से साफ है कि वे बीजेपी के मंच पर नजर आयेगे और उनके पिता गठबंधन के लिए वोट मांगते दिखेगे। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पिता पुत्र के आमने सामने होने से चुनाव में दिलचस्पी बढ़ गयी है। कारण कि दोनों का अपना जनाधार है।
By Ran Vijay Singh