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आजमगढ़

आजमगढ़ में गणेश चतुर्थी की धूम, पूजा पंडाल और मंदिरों में दिखी भारी भीड़

जिले में जगह जगह गणपति भगवान की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है ।

आजमगढ़Sep 13, 2018 / 06:53 pm

Akhilesh Tripathi

Ganesh chaturthi celebration

गणेश चतुर्थी का त्योहार

आजमगढ़. गणेश चतुर्थी का पर्व गुरूवार को धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने विधि विधान से बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की पूजा की। जिले में जगह जगह गणपति भगवान की प्रतिमा भी स्थापित की गयी। पूजा पंडालों पर भक्तों की भारी भीड़ दिखी। मराठी समाज का दामोदर कटरा में स्थापित प्रतिमा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
बता दें कि मराठी समाज प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन प्रतिमा की स्थापना करता है और पूजा अर्चन का कार्यक्रम हफ्ते भर तक चलता है। गुरूवार को संजय के नेतृत्व में मराठी समाज ने दामोदर कटरा में वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच प्रतिमा स्थापित की गयी। प्रतिमा स्थापना के बाद से ही यहां भक्तों की भीड़ दिख रही है। रविवार को यहां भव्य भंडारे का आयोजन होगा जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद 19 सितंबर को प्रतिमा विसर्जित की जाएगी।
वहीं शहर के गणेश मंदिरों में भी भारी भीड़ दिखी। तमाम लोगों ने व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा की तथा परिवार के सुख समृद्धि के लिए आर्शीवाद मांगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी गणेश पूजन की धूम रही। कई स्थानों पर प्रतिमा की स्थापना की गयी।
ज्योतिषाचार्य ओम तिवारी ने बताया कि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिवस को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में आता है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्तुति के बिना अधूरी है। हिन्दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत होती है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी यानी कि भगवान गणेश के जन्मदिवस को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने तो अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया था। लोकमान्य तिलक ने 1857 की असफल क्रांति के बाद देश को एक सूत्र में बांधने के मकसद से इस पर्व को सामाजिक और राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा फिर से शुरू की। 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव ने अंग्रेजी शासन की जड़ों को हिलाने का काम बखूबी किया।
BY- RANVIJAY SINGH

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