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आजमगढ़

स्वास्थ्य विभाग को नहीं पता, जिले में हैं कितने सोनोग्राफी सेंटर

20 साल में सिर्फ 11 सेंटरों के खिलाफ हुई है कार्रवाई

आजमगढ़Jul 09, 2019 / 09:29 pm

Ashish Shukla

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स्वास्थ्य विभाग को नहीं पता, जिले में हैं कितने सोनोग्राफी सेंटर

रण विजय सिंह की रिपोर्ट

आजमगढ़. स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है इसका जीता जागता प्रमाण सामने आया है। सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा कर रही है और इसके लिए आयुष्मान भारत सहित तमाम योजनाओं का संचालित कर रही है लेकिन इस जिले में दर्जनों सोनोग्राफी सेंटर बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे है जो सीधे जनता का लूट रहे है। जिले में एक साल में बहुत से सोनोग्राफी सेंटर खुले लेकिन स्वास्थ्य विभाग में एक भी रजिस्ट्रेशन दर्ज नहीं है। ना ही विभाग के लोग यह बता पाने की स्थित में है कि यहां कितने सेंटर संचालित है।
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ लिपिक सिद्धनाथ की माने तो जनपद में कुल 81 अल्ट्रासाउंड सेंटर रजिस्टर्ड हैं। इसमें शहर क्षेत्र में 35 और शेष ग्रामीण क्षेत्र में हैं। दूसरी तरफ आम आदमी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से सैकड़ों अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं। यही नहीं यहां मोटी रकम लेकर भ्रूण की जांच कर ***** भी बताने का खेल चल रहा है। जबकि शासन से इस पर रोक है। बहरहाल, इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। हालांकि विभाग की मानें तो जांच वास्ते तहसील स्तर पर एसडीएम सहित स्वास्थ्य विभाग की टीम गठित की गई है। वह अपने-अपने क्षेत्र में छापेमारी कर इसकी जांच करते हैं। शहर क्षेत्र में नोडल अफसर अपर चिकित्साधिकारी डा. संजय कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसके अलावा तहसील के एसडीएम, सीएचसी, पीएचसी के डाक्टरों को भी टीम में शामिल किया गया है।
लेकिन अधिकारी कितनी जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जिले में बीस साल में मात्र 11 अवैध सोनोग्राफी सेंटरों पर कार्रवाई है। जबकि छोटी बाजारों में भी खुलेआम सोनोग्राफी संेटर का संचालन हो रहा है। आज तक जिन 11 सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई है उनमें आठ सेंटर निलंबित किए गए तो तीन के विरुद्ध पीसीपीएनडीटी एक्ट (लिग चयन प्रतिषेध नियम) के तहत एफआइआर भी दर्ज कराई गई है। जनपद से लेकर तहसील स्तर पर टीमें गठित है। हर दो वर्ष पर टीम बदलती है और शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कोई अभियान भी चलता है लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता है। यही वजह है कि अवैध सोनोग्राफी सेंटरों की भरमार होती जा रही है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके मिश्र का कहना है कि अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलती हैं तो अभियान चलाकर अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों के विरुद्ध कार्रवाई तो की ही जाएगी साथ ही साथ सेंटर को सीज भी कर दिया जाएगा। सीएमओ के बयान से साफ है कि यह तभी कार्रवाई करेंगे जब कोई शिकायत मिलेगी। आम आदमी तभी शिकायत करता है जब उसके साथ कुछ गलत होत है। वैसे भी यह सवाल उठता है कि जब आम आदमी की शिकायत पर ही कार्रवाई करनी है तो फिर टीमों के गठन का क्या मतलब।

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