समाजवादी पार्टी की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। इसी का नतीजा है कि क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष की दो सीटे पार्टी से छिन चुकी है और जिला पंचायत अध्यक्ष सीट भाजपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव की मदद से बड़ी मुश्किल से बची है। बुधवार को महराजगंज ब्लाक प्रमुख के खिलाफ भी आविश्वास प्रस्ताव आ गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को नए सिरे से खड़ी करना चाहते हैं और यहीं वजह है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उन्होंने उन लोगों को भी शामिल किया जिससे उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण पूर्व मंत्री बलराम यादव हैं, जिन्हे शिवपाल और मुलायम का करीबी माना जाता था। अब वे पार्टी के महासचिव हैं। लेकिन आजमगढ़ में गुटबाजी थमने थमने के बजाय बढ़ती जा रही है।
नगरपालिका के लिए प्रत्याशी के चयन के लिए दीपावली से पूर्व यहां पर्यवेक्षक ने दौरा किया। उसी दिन अपने करीबी व अध्यक्ष पद के उम्मीवारी का दावा कर रहे अमित यादव के साथ बलराम यादव भी यहां पहुंचे। अमित का जोरदार ढंग से स्वागत किया गया लेकिन अंत में दुर्गा भारी पड़े और सूत्रों की माने तो यह फैसला हुआ कि सिर्फ एक नाम जाएगा और वह भी दुर्गा यादव के करीबी पदमाकर लाल वर्मा का। अगले ही दिन पदमाकर की डीएम का पैर पकड़े फोटो और चार साल पुरानी समाचार पत्रों की कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। इसके बाद से ही दुर्गा बैकफुट पर नजर आ रहे है।
सूत्रों की माने तो विरोधी खेमा इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उक्त फोटो अखिलेश यादव तक पहुंचाई जा चुकी है इसके बाद दुर्गा भी मामले से पल्ला झाड़ते दिख रहे । वे चाहते है कि टिकट पदमाकर को ही मिले लेकिन संगठन के जरिये। इसलिए तीन नाम भेजने का फैसला लिया गया है जिसमें पदमाकर के अलावा सत्येन और अमित का नाम शामिल है। संगठन खासतौर पर जिलाध्यक्ष पूरी तरह से दुर्गा के दबाव में है कारण कि अभी हाल में दुर्गा ने ही उनकी बहू की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बचाई है। वहीं बलराम को भी विरोधियों को घेरने का मौका मिल गया है। फोटो रूपी हथियार को उनके लोग बड़े ही कारगर तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका नुकसान दुर्गा को उठाना पड़ सकता है।
By Ran Vijay Singh