धर्मेंद्र के बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रत्याशी को पौने तीन लाख वोट मिला है उसे डमी कैसे कहा जा सकता है। सबको पता था कि हम चुनाव घोषणा के पहले ही मैदान में उतर चुके हैं। अगर सांप्रदायिक ताकतों को हराना था तो उन्होंने धर्मेंद्र यादव को क्यों उतार दिया। पहले किसी और को टिकट दिया जाता है फिर रातो-रात धर्मेंद्र को उतार दिया जाता है। खोट तो उनके मन में था।
बता दें कि चुनाव की घोषणा के पहले ही मायावती ने जमाली के नाम की घोषणा कर दी थी। उपचुनाव में सपा, बसपा और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला लेकिन जमाली तीसरे स्थान पर पहुंच गए। वहीं बीजेपी ने कम अंतर से ही सही लेकिन चुनाव में जीत हासिल की। आठ साल बाद यहां सपा को हार का सामना करना पड़ा। धर्मेंद्र यादव मुलायम परिवार के पहले ऐसे नेता बन गए जिन्हें आजमगढ़ में हार मिली है। सपा के लोग हार के लिए मुस्लिम मतों के विभाजन को जिम्मेदार मानते हुए बसपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।