मूल रूप से यूपी के गोरखपुर के रहने वाले राधाकृष्ण मिश्र उर्फ आरके मिश्र ने 1997 बैच के पीसीएस है। इनकी पहली तैनाती प्रदेश के जाने माने सेंट्रल जेल नैनी अपर जेल अधीक्षक के रूप में हुई। यहां से स्थानान्तरित होने के बाद वे नैनीताल, रायबरेली, मथुरा, बुलंदशहर, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, बरेली, फैजाबाद, बिजनौर में जेल अधीक्षक के रूप में सेवा दे चुके है। 2019 में जब जेल के अंदर मोबाइल चलाने के विवाद में ही एक बंदी के इशारे पर उसके गुर्गों ने जेल परिसर में बने सरकारी आवास में घुसकर बंदी रक्षक मान सिंह को गोली मार दी और इसके बाद 16 मार्च 2019 को एसपी सिटी और एडीएम प्रशासन ने जब जेल में छापेमारी की तो बंदियों के पास से 35 से अधिक मोबाइल और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद हुए। जेल की पोल खुलने से नाराज बंदी रक्षकों ने बंदियों को थर्ड डिग्री दी। इससे नाराज बंदियों ने जमकर हंगामा किया। इस घटना के बाद जेल अधीक्षक, जेलर सहित अन्य लोगों को निलंबित करते हुए हटा दिया गया। जबकि अन्य के खिलाफ जांच चल रही है।
इसके बाद शासन ने जेल की व्यवस्था में सुधार के लिए 26 मार्च 2019 को आरके मिश्र को यहां का वरिष्ठ जेल अधीक्षक बनाकर भेजा। उम्मीद पर खरा उतरते हुए आरके मिश्रा ने जेल की व्यवस्थाओं में काफी सुधार किया। ऐसे में महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार की तरफ से अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से आईजी प्रशंसा पदक चिह्न देने की योजना लागू की गई। इस पुरस्कार के लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक आरके मिश्रा का चयन किया गया है। 15 अगस्त के दिन जेल में ध्वजारोहण के बाद यह पुरस्कार दिया जाएगा।