बता दें कि आजमगढ़ सीट गठबंधन और सत्ता पक्ष के प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है।
अखिलेश यादव के सामने मुलायम की सीट बचाने की चुनौती है तो सीएम योगी ने मुलायम को कड़ी टक्कर देने वाले बाहुबली का टिकट काटकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है। चुंकि प्रत्याशी सीएम की जिद पर चुना गया है इसलिए यह सीट उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ गयी है। खुद योगी भी बार-बार आजमगढ़ सीट जीतने का दावा कर रहे हैं।
अब तक के प्रचार पर गौर करें तो दोनों दलों में कड़ा मुकाबला दिख रहा है। फिल्म स्टार निरहुआ चुनाव में अखिलेश यादव का डेढ़ गुना खर्च कर चुके है। दो दिन पहले तक वे प्रचार में भी सपा से आगे दिख रहे थे लेकिन दो दिन से मुलायम परिवार ने पूरी तरह मोर्चा संभाल लिया लिया। सांसद व अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव सहित परिवार व इटावा मैनपुरी क्षेत्र के तमाम नेता मैदान में कूद गए हैं। वहीं बीजेपी की तरफ से मंत्री अनिल राजभर, दारा सिंह चौहान आदि ने मोर्चा संभाल रखा है। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा पूरी स्थिति की निगरानी कर रहे है।
निरहुआ और नीलम सोनकर के पक्ष के माहौल बनाने के लिए पहले मई के प्रथम सप्ताह में पीएम मोदी की रैली होनी थी लेकिन जब अखिलेश और मायावती की रैली आठ मई को तय हुई तो पीएम का कार्यक्रम भी बदल दिया गया। माना जा रहा था कि अखिलेश और मायावती की संयुक्त रैली के बाद सपा के पक्ष में माहौल बनेगा। खासतौर पर दलित पूरी ताकत के साथ अखिलेश के साथ खड़े होंगे। बीजेपी को भी इसके अंदेशा है कि कहीं अंतिम समय में बाजी हाथ से फिसल न जाय। यहीं वजह है कि अखिलेश मायावती के रैली के अगले दिन यानि नौ मई को पीएम मोदी की रैली मंदुरी में रखी गयी है।
यहां से वे जिले की दोनों सीटों के लोगों को संबोधित करगें। इसके बाद प्रचार के अंतिम दिन यानि 10 को फिल्म स्टार खेसारी लाल व आम्रपाली दुबे का रोड शो निर्धारित किया गया है। इसके पीछे मंशा साफ है कि मायावती और अखिलेश रैली के जरिये मतादताओं पर जो प्रभाव डाले उसे मोदी अपनी बातों से कम कर सके और रोड शो में ग्लैमर को देख मतदाताओं को बहुत अधिक सोचने समझने का मौका न मिले और अब तक जो माहौल बना है वह कायम रह सके।
By Ran Vijay Singh