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आजमगढ़

लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक जा सकता कांग्रेस के साथ, सपा-बसपा की बढ़ी टेंशन

मुस्लिम भटके तो बीजेपी को मिल सकता है फायदा, प्रसपा भी युवा मुसलमानो पर गड़ाये है नजर

आजमगढ़Mar 10, 2019 / 01:14 pm

sarveshwari Mishra

SP BSP Alliance

SP BSP Alliance

आजमगढ़. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा गठबंधन मुस्लिम मतदाताओं को लेकर असमंजस में फंसा हुई है। कारण कि कांग्रेस के मुस्लिम दलों से गठबंधन कर चुनाव लड़ने की स्थित में मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस के साथ में जाने संभावना बढ़ गयी है जो गठबंधन के लिए बड़ा खतरा है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा। वहीं शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा भी युवा मुस्लिम मतदाताओं पर नजर गड़ाए हुए है। पार्टी ने मिर्जा शाने आलम को बड़ी जिम्मेदारी सौंप अपना मंसूबा साफ कर दिया है। इससे गठबंधन के होश उड़े हुए है। कारण कि गठबंधन भी यादव, मुस्लिम और दलित मतों की गोलबंदी से यूपी जीतने का ख्वाब देख रहा है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए सपा बसपा के बीच हुए गठबंधन के बाद इन दलों की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही थी। कारण कि ज्यादातर सीटों पर यादव, मुस्लिम और दलित निर्णायक की भूमिका में हैं लेकिन एअर स्ट्राइक के बाद देश के साथ ही पूर्वांचल का मिजाज तेजी से बदला है। मोदी सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। एअर स्ट्राइक ने पाकिस्तान को छोड़ बाकी मुद्दों को दबा दिया है। खासतौर पर राम मंदिर मुद्दे से लोगों का ध्यान हट गया है जो बीजेपी के लिए काफी राहत देने वाला है। कारण कि एअर स्ट्राइक के पहले हिंदू समाज खासतौर पर संत बीजेपी से काफी नाराज थे लेकिन अब वे भी शांत है।

मोदी की लोकप्रियता बढ़ने और कांग्रेस द्वारा गठबंधन में मनमाफिक सीट न मिलने की स्थित में पीस पार्टी, निषाद दल, महान पार्टी जैसे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने के प्रयास से गठबंधन घबराया हुआ है। सूत्रों की माने तो भाजपा को मात देने के लिए गठबंधन कांग्रेस को 15 सीट तक देने के लिए तैयार है लेकिन कांग्रेस 20 सीट पर अड़ी हुई है। जिसके कारण गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिल पा रही है। गठबंधन को डर सता रहा है कि अगर पश्चिम में जाटव और पूरब में मुस्लिम कांग्रेस के साथ कुछ प्रतिशत भी गया तो उनकी हालत पतली हो सकती है। कारण कि पीस पार्टी का देवरिया, गोरखपुर आदि क्षेत्रों में अच्छा जनाधार है और यह दल वर्ष 2012 में अखिलेश की लहर के बाद भी चार सीट जीतने में सफल रहा था। कांग्रेस के साथ आने के बाद उसकी स्थित और मजबूत होगी। यहीं नहीं कांग्रेस आजमगढ़ और आसपास की सीटों पर मुस्लिम पर दाव भी लगाने के प्लान पर काम कर रही है। ऐसा हुआ तो गठबंधन की मुसीबत और बढ़ जाएगी। वहीं शिवपाल यादव की पार्टी भी लगातार युवा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ रही है। यह भी गठबंधन के लिए बड़ा खतरा है। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है। यही वजह है कि अब भाजपाई भी चाह रहे हैं कि कांग्रेस गठबंधन में शामिल न हो बल्कि अकेले मैदान में उतरे।
BY-Ranvijay Singh

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