बता दें कि आजमगढ़ जिला सपा का गढ़ माना जाता है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां 10 में से नौ सीटें जीती थी। केवल एक सीट मुबारकपुर बसपा के खाते में गई थी। वर्ष 2017 में बीजेपी की लहर होने के बाद भी सपा यहां पांच सीट जीतने में सफल हुई थी जबकि बसपा के खाते में चार सीट गयी थी। बीजेपी एक सीट जीतने में सफल हुई थी।
वर्ष 2022 के चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सातवें चरण में आजमगढ़ में चुनाव होना है। बीजेपी निषाद पार्टी से गठबंधन कर मैदान में उतर रही है। बीजेपी ने अतरौलिया सीट निषाद पार्टी को दे दी है। चर्चा है कि सगड़ी सीट अपना दल के खाते में जा सकती है। वहीं सपा का गठबंधन शिवपाल यादव की प्रसपा और ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा से है। दीदारगंज और मेंहनगर विधानसभा सीट पर राजभरों की संख्या 50 हजार से अधिक है। इसलिए ओमप्रकाश राजभर यह दोनों सीट अपने लिए चाहते है। वर्ष 2017 में जब उन्होंने बीजेपी से गठबंधन किया था तो उस समय में उन्हें मेंहनगर सीट मिली थी।
वहीं दूसरी तरफ मेंहनगर सीट पर बसपा छोड़ सपा में शामिल हुई विद्या चौधरी, पूर्व विधायक बृजलाल सोनकर, वर्तमान विधायक कल्पनाथ पासवान सहित आधा दर्जन नेता दावेदारी कर रहे है। रहा सवाल दीदारगंज सीट का तो बसपा से हाल ही में सपा में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के पुत्र कमलाकांत यादव, पूर्व विधायक आदिल शेख, पूर्व मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा, पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री डा. रामदुलार राजभर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। यहां 70 हजार राजभर है। सपा को भरोसा है कि सुखदेव के निधन के बाद कमला कांत के साथ सहानुभूति होगी और वे सीट जीत जाएंगे। ऐसे में सपा यह सीट अपने पास ही रखना चाहती है।
इसी तरह मुबारकपुर सीट शिवपाल यादव अपने करीबी नेता पूर्व विधायक रामदर्शन यादव के लिए चाहते हैं। लेकिन यहां से सपा की तरफ से अखिलेश यादव, चंद्र देव राम यादव करैली और शाहआल सहित कई दावेदार पहले से हैं। पिछला दो चुनाव सपा राम दर्शन की वजह से ही हारी थी। सपा नेताओं में इस बात की टीस भी है। ऐसे में अगर यह सीट सहयोगी दल को जाती है तो सपा में भीतरघात का खतरा बढ़ सकता है।