ओवैसी का यह पूर्वांचल दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कारण कि यह क्षेत्र दो दशक तक सपा बसपा का गढ़ रहा है तो वर्ष 2014 के बाद यहां बीजेपी एकछत्र राज कर रही है। पूर्वांचल में मुस्लिम, राजभर और दलितों की भारी संख्या ने भी इनका हौसला बढ़ाया है। खासतौर पर मंगलवार को वाराणसी से लेकर जौनपुर व आजमगढ़ तक जिस तरह से कार्यकर्ताओं ने ओवैसी और ओमप्रकाश का स्वागत किया और जो उत्साह दिखा उससे दोनों ही नेता गदगद नजर आये।
ओवैसी ने आजमगढ़ पहुंचते ही साफ कर दिया कि वे 2022 का विधानसभा चुनाव वे ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व में भागीदार संकल्प मोर्चा के बैनर तले लड़ेगे। इस मोर्चे में नौ जातीय संगठन अथवा दल अब तक शामिल हो चुके है। आगे भी इसका विस्तार किया जाएगा। यह मोर्चा जितना मजबूत होगा भाजपा ही नहीं बल्कि विपक्ष की भी मुश्किले उतनी ही बढ़ती जाएंगी। कारण कि वर्ष 2014 के बाद पिछड़ी जातियां पूरी ताकत के साथ भाजपा के साथ खड़ी दिखी हैं।
ओमप्रकाश के मोर्चे की अगुवाई करने क बाद कम से कम राजभर मतों में बिखराव तय है। वहीं यह मोर्चा कहार, चैहान, कुर्मी नौ अन्य जातियों पर भी दावा कर रहा है। ओवैसी के आने से मुस्लिमों में उत्साह बढ़ा है। साथ ही ओवैसी बिहार जीतकर मुस्लिम मतदाताओं में यह विश्वास भी बढ़ाने में सफल रहे है कि यूपी में उलटफेर कर सकते है। पूर्वाचल का मुस्लिम अब तक सपा का वोट बैंक माना जाता रहा है। वहीं भीम आर्मी के मोर्चा में आने से मायावती के दलित वोट बैंक पर भी खतरा बढ़ेगा।
By Ran Vijay Singh