मेंहनगर तहसील क्षेत्र के गोला बाजार निवासी लियाकत अली 45 वर्ष पीएसी जवान था। वर्तमान में उसकी तैनाती गोरखपुर में थी। हाल में ही वह छुट्टी लेकर घर आया था। रविवार की सुबह एका-एक लियाकत की हालत बिगड़ गयी। परिजन उसे लेकर जिला अस्पातल पहुंचे। यहां इमरजेंसी में डॉ. मनोज ने जवान को देखा और कोरोना जांच के लिए आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया।
जांच के दौरान उसे आक्सीजन पाइप लगाई गयी लेकिन आक्सीजन थी ही नहीं। एक घंटे बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। वहां भी आक्सीजन नहीं थी। इस बीच नर्स ड्यूटी पूरी हो जाने की बात कह कर निकल गई। अनुरोध करने पर बताया कि यहां आक्सीजन नहीं है। मरीज को बचाना है तो एक निजी अस्पताल का नाम बताकर वहां तत्काल ले जाने को कहा। मरीज को वहां भर्ती नहीं किया गया।
परिवार के लोग जवान को निजी अस्पताल ले जा रहे थे कि रास्ते में उसकी मौत हो गयी। मृतक के पुत्र अमन अली ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से पिता की जान गई है। उधर, जिला अस्पताल में आक्सीजन उपलब्ध नहीं होने की वजह से वहां भर्ती छह मरीजों को शनिवार देर रात उनके तीमारदारों ने निजी अस्पतालों में भर्ती कराया। तीमारदारों का कहना था कि मरीजों को आक्सीजन की जरूरत थी और अस्पताल में वह उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में अस्पताल प्रशासन सिर्फ रेफर पर्ची बनाने की बात कह रहा था। वहीं प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक श्रीकृष्ण गोपाल सिंह का कहना है कि यहां सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन की व्यवस्था है। आक्सीजन की अस्पताल में कहीं कोई कमी नहीं है। मरीज के परिजन स्वयं यह लिख कर गए हैं कि वह मरीज को कहीं और ले जा रहे हैं। मरीज की मौत परिजनों की लापरवाही से हुई है।