बलिया. समाजवादियों के गढ़ में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समाजवाद को साधने की कोशिश करेंगे। मोदी के यहां पहुंचने में अभी कुछ घंटे का समय है लेकिन जो सैलाब सभा स्थल पर दिख रहा है वह निश्चित तौर पर भाजपा को सुकून देने वाला साबित होगा। वहीं बागी बलिया आज उस पल का साक्षी बनने जा रहा है जब कुछ ही घंटों में पांच करोड़ परिवारों को धुएं की गुलामी से आजादी मिल जायेगी।
बता दें कि बलिया जनपद कई उतार चढ़ाव देखे हैं। महर्षि भृगु की इस धरती पर 19 अगस्त 1942 को ब्रिटिश जेल तोड़कर क्रांतिकारियों ने चित्तू पांडेय के नेतृत्व में न सिर्फ कुछ दिनों के लिए बलिया को आजाद करा लिया था बल्कि उस पूरे समय में क्रांतिकारी चित्तू पांडेय ने बतौर कलेक्टर बलिया की जनता को न्याय दिया। आजादी के बाद इस जिले ने चंद्रशेखर सिंह जैसा समाजवादी नेता दिया जिसने जीवन में कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और इमरजेंसी के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरागांधी का खुलकर विरोध किया। 10 नवंबर 1990 को वे देश के आठवें प्रधानमंत्री बने। इसके सिद्धांत और जज्बे ने ही इन्हें यूवा तुर्क की उपाधि दी।
आज भी बलिया को समाजवादियों का गढ़ कहा जाता है। शायद यही वजह है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला जैसी महत्वपूर्ण योजना के शुभारंभ के लिए बलिया जनपद को चुना। कुछ और मामलों में यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है। आजमगढ़ मंडल ने प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री भी दिये लेकिन यह पहला अवसर जब किसी योजना की शुरूआत इस मंडल से होने जा रही है।
वैसे इसके पीछे कहीं न कहीं भाजपा अपना सियासी लाभ भी देख रही है। पूर्वांचल में भाजपा की स्थित हमेंशा ही खराब रही है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ सीट छोड़ पूरे पूर्वांचल भले ही सपा बसपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया हौ लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व यह अच्छी तरह जानता है कि ऐसी लहर बार बार नहीं आती। भाजपा के पास पूर्वांचल को साधने का यह सुनहरा मौका है। पार्टी उसके लिए पूरा प्रयास भी कर रही है। रैली में भीड़ के जरिये पार्टी विरोधियों को संदेश देना चाहती है कि आज भी पूर्वांचल के लोग उसके साथ है और वह समाजवाद के गढ़ आजमगढ़ मंडल में भी अपनी पैठ बनाने में सफल रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने काम को बाखूबी अंजाम दिया है।
दो लाख से अधिक लोग इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए सभा स्थल पर पहुंच चुके थे। जिस तरह सड़के भाजपाइयों से पटी है उसे देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि रैली में पार्टी चार लाख की भीड़ के लक्ष्य को पार कर जायेगी। अब इस भीड़ को प्रधानमंत्री वोट बैंक के रूप बदलने में कितने कामियाब होंगे यह तो समय बतायेगा लेकिन भाजपा के लिए वर्ष 2017 के चुनाव की तैयारी के लिए यह महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है।
गरीबों में दिख रहा उत्साह
आजमगढ़। योजना को लेकर गरीबों में काफी उत्साह दिख रहा है। कारण कि उन्हे विश्वास है कि यह योजना उन्हें चुल्हें की आग और धुआं से छुटकारा दिला सकता है। अब उन्हें अंगीठी नहीं जलानी पड़ेगी। किसी सरकार ने पहली बार उनके दर्द को समझा है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले हाजी सुल्तान, मुसाफिर, राम चंदर, सुशील कुमार, अभिषेक कुमार, राम दवर आदि का कहना है कि यदि योजना में भ्रष्टाचार नहीं हुआ और गरीबों तक योजना का लाभ पहुंचा तो निश्चित तौर पर उनके दिन बदल जायेगे। अब धुंए के चलते गरीब टीबी, दमा आदि बीमारियों के शिकार नहीं होगें और ना ही उन्हें लकड़ी के लिए ठोकरें खानी होगी।