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MLA वंदना सिंह के ससुर ने की थी सपा से राजनीति की शुरुआत, चुनाव हारने के बाद भी मुलायम ने बनाया था मंत्री

सगड़ी विधायक वंदना सिंह बीजेपी में शामिल हो गई है। वंदना के ससुर ने राजनीति की शुरूआत सपा से की थी और चुनाव हारने के बाद भी उन्हें मुलायम सिंह ने एमएलसी बनाकर पर्यावरण मंत्री बनाया था। वंदना के पति सर्वेश सिंह सीपू 2007 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सगड़ी से विधायक चुने गए थे। अमर सिंह के सपा छोड़ने के बाद वंदना का परिवार भी सपा से नाता तोड़ लिया था और सर्वेश सिंह बसपा में शामिल हो गए थे।

आजमगढ़Nov 25, 2021 / 11:04 am

Ranvijay Singh

वंदना सिंह का परिवार

वंदना सिंह का परिवार

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. भाजपा में शामिल हो चुकी बसपा की बागी विधायक वंदना सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनके ससुर और पति ने समाजवादी पार्टी से राजनीति की शुरुआत की थी। वंदना के ससुर रामप्यारे सिंह को मुलायम सिंह ने चुनाव हारने के बाद भी कैबिनेट मंत्री बनाया था जबकि उनके पति सर्वेश सिंह सीपू भी सपा से ही विधायक चुने गए थे। अमर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद सीपू बसपा को दामन थाम लिए। पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद मायावती ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी वंदना सिंह को सगड़ी से टिकट दिया और वे विधायक चुन ली गयी। अक्टूर 2021 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बसपा मुखिया ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। अब वंदना सिंह बीजेपी के टिकट पर सगड़ी सेे चुनाव लड़ सकती हैं।

बता दें कि सगड़ी क्षेत्र के अमुवारी नरायनपुर गांव निवासी बसपा से विधायक चुनी गयी वंदना सिंह के ससुर रामप्यारे सिंह को अमर सिंह का बेहद करीबी माना जाता था। रामप्यारे सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अजमतगढ़ ब्लाक के प्रमुख के रूप में शुरू की। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद वे मुलायम सिंह के साथ हो गए। रामप्यारे सिंह वर्ष 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। पार्टी ने वर्ष 2002 में सगड़ी विधानसभा से दोबारा टिकट दिया लेकिन रामप्यारे सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।

चुंकि रामप्यारे सिंह अमर सिंह के चलते मुलायम सिंह के भी काफी करीबी हो गए थे इसलिए हार के बाद भी उन्हें न केवल विधान परिषद भेजा गया बल्कि वर्ष 2003 में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में जगह देते हुए पर्यावरण मंत्री बनाया। इस बीच वे कैंसर से पीड़ित हो गए। ऐसे में छोटे पुत्र सर्वेश सिंह उर्फ सीपू ने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता दिखाई। इसी बीच दो साल बाद रामप्यारे सिंह का 31 मई 2005 को निधन हो गया।

स्व.रामप्यारे सिंह की सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में तैयार की गई राजनीतिक जमीन का फायदा सर्वेश को मिला। वर्ष 2007 में सर्वेश ने सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की। वर्ष 2010 में अमर सिंह सपा से अलग हुए और लोकमंच का गठन किया तो सीपू ने भी पिता के मित्र का साथ दिया और समाजवादी पार्टी छोड़ दी। अमर सिंह सीपू को पुत्र की तरह मानते थे जिसके कारण उन्होंने सीपू को लोकमंच में साथ रखने के बजाय वर्ष 2011 में बसपा में शामिल करा दिया।

इसके साथ ही सर्वेश के बड़े भाई संतोष सिंह उर्फ टीपू भी बसपा में आ गए। वर्ष 2012 के विधानसभा में बसपा मुखिया मायावती ने सर्वेश सिंह सीपू को सदर विधानसभा व उनके बड़े भाई संतोष सिंह टीपू को सगड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ाया। उस समय सपा की लहर में दोनों भाई चुनाव हार गए और जिले की दस विधानसभा सीटों में से नौ पर सपा को जीत मिली।

हारने के बाद भी सर्वेश सिंह सीपू अपने पिता की तैयार की हुई जमीन को संवारने में लगे रहे। इसी बीच 19 जुलाई 2013 को पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पति की मौत के बाद वंदना सिंह राजनीति में सक्रिय हुई और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा मुखिया मायावती ने वंदना सिंह को सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया। वंदना सिंह विधायक चुन ली गयी।

28 अक्टूबर 2021 को वंदना सिंह ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात किया जो बसपा मुख्यिा मायावती को नागवार लगा और उन्होंने वंदना को पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होेने के आरोप में पार्टी से निकाल दिया। चुंकि पूर्व में वंदना का पूरा परिवार सपा से जुड़ा था और वंदना की अखिलेश से मुलाकात के बाद यह अटकलें तेज हो गयी थी कि वे सपा में शामिल हो सकती हैं। कारण कि सपा को भी सगड़ी में एक मजबूत नेता की तलाश थी लेकिन वंदना से सबको चौकाते हुए बुधवार को भाजपा में शामिल हो गई। सगड़ी में बीजेपी के पास भी कोई मजबूत नेता नहीं है। ऐेसे में माना जा रहा है कि अब बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं।

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