बता दें कि सरायमीर से खेतासराय, मार्टीनगंज आदि क्षेत्रों में 90 के दशक में रोडवेज बसों का संचालन होता था लेकिन बाद में उसे बंद कर दिया गया। क्षेत्र की पांच लाख से अधिक की आबादी निजी संसाधनों अथवा किराया वाहनों पर निर्भर है। यहीं नहीं क्षेत्र में कोई बस डिपो नहीं हैं। कई बार लोगों ने इस संबध में आवाज उठाई। रोडवेज के संचालन के लिए विरोध प्रदर्शन किया लेकिन विभाग ने ध्यान नहीं दिया।
वर्ष 2012 में अखिलेश यादव की सरकार बनी तो उन्होंने कुशलगांव में एक बस अड्डे का निर्माण कराया लेकिन यह बस अड्डा आजतक चालू नहीं हुआ। वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तब भी इस क्षेत्र में रोडवेज संचालन की मांग हुई। पिछले छह महीने में कांग्रेसी कई बार बस अड्डे को चालू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किये। एसडीएम और डीएम को ज्ञापन सौंपे लेकिन न तो रोडवेज चली और न ही बस अड्डा चालू किया गया।
योगी सरकार हर साल रक्षाबंधन पर्व पर महिलाओं को 24 घंटे सभी श्रेणी की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा देती है लेकिन इस क्षेत्र की महिलाएं आज तक सरकार की इस योजना का लाभ नहीं उठा पाई हैं। आखिर रोडवेज चलती ही नहीं तो यात्रा करें कैसे। कुरियांवा गांव की रीना सिंह, सिकरौर आशा कश्यप, नीतू आदि का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में रोडवेज चलती तो सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही यात्रा का लाभ नहीं मिलता बल्कि साल के बारहो महीने आसानी होती। रोडवेज न चलने के कारण निजी बस संचालक मनमाना किराया वसूलते है।