बता दें सगड़ी तहसील क्षेत्र के दियारा में रहने वाले लोगों को प्रति वर्ष घाघरा की बाढ़ से जूूझना पड़ता है। पिछले तीन दशक से लोग मांग कर रहे हैं कि रिंग बांध बनवाया जाय ताकि पानी गांव तक न पहुंचे लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हुई जबकि सरकार बाढ़ नियंत्रण पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है। अब तक कई गांव नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं तो हजारों एकड़ कृषि भूमि नदी लील चुकी है।
कोविड काल में सबसे अधिक प्रभाव बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है। कोविड के चलते डेढ़ साल से विद्यालय बंद थे। संक्रमण कम होने के बाद सरकार ने 24 अगस्त को जूनियर व एक सितंबर को प्राथमिक विद्यालयों को खोल दिया। इसके बाद भी दियारा के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। बाढ़ के चलते बांध के उत्तर देवारा क्षेत्र के 20 प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन पूरी तरह से अवरुद्ध है। कुछ जूनियर हाईस्कूल खुले भी हैं तो वहां बच्च नहीं पहुंच पा रहे है। कारण कि रास्ता पानी से डूबा हुआ है। कुछ बच्चे हिम्मत कर नाव से स्कूल जरूर जा रहे है लेकिन कम बच्चे होने पर विद्यालय में पठन पाठन नहीं हो रहा है। सीधे तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि यहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
हरैया और महराजगंज ब्लाक के कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। हरैया विकासखंड के इस्माइलपुर, मानिकपुर, बांका, देवाराखास राजा, अभ्भनपट्टी, सोनौरा समेत कई गांव में चारों तरफ से पानी फैल गया है।महीनों से पानी जमा होने के चलते धान, गन्ना, मक्का और सब्जी की फसल सड़ रही है। हाजीपुर और सोनौरा मार्ग पर लबालब पानी भरा हुआ है।
सेमरी गांव में भी स्थित संपर्क मार्ग पर कई फीट पानी बह रहा है।पशुओं के चारे की समस्या देवारा के लोगों को परेशान कर रही है।हरैया और महाराजगंज के 20 प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू नहीं हो पाया है। कारण जो बच्चे इन विद्यालयों में पढ़ने आते हैं उनके गांव और संपर्क मार्गों पर पानी भरा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सारे काम सिर्फ कागज पर हो रहे है। आम आदमी को प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिल रही है।