तय कार्यक्रम के तहत सोमवार को सपा द्वारा रानी की सराय थाने पर धरना दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि दलित के साथ दुष्कर्म की घटना को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। घटना के चार दिन बाद 19नवंबर को पुलिस द्वारा पीड़ित का मेडिकल कराया गया जबकि उसका एक्सरे 21 नवंबर को बलिया में कराया गया। खुद पीड़िता कह रही है कि किसी प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में मेडिकल सही नहीं हुआ। साक्ष्य को खत्म करने के लिए डाक्टर पर दबाव था। इस दौरान पुलिस ने पीड़िता को उसके परिवार से नहीं मिलने दिया। पुलिस उसे डराती थी कि जो हम कह रहे हैं वही बयान देना नही ंतो तुम्हारे परिवार का बड़ा नुकसान होगा। पुलिस के दबाव में उसने मजिस्ट्रेट के सामने वही बयान दिया जो पुलिस चाहती थी। अपहरणकर्ताओं के वाहन पर बीजेपी का झंडा लगा था। प्रभावशाली होने के कारण पुलिस उन्हें बचाने के लिए झूठी कहानी गढ़कर मुकदमा समाप्त करना चाहती है। इस दौरान पुलिस अधीक्षक से मांग की गयी कि मामले की जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय। पुलिस सत्ता के दबाव में काम कर रही है। जनता का पुलिस से विश्वास उठ गया है। पुलिस ज्यादातर बलात्कार की घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज नहीं करती और ना ही अपराध पर अंकुश लगाया जा रहा है। लोगों ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप मामले की न्यायिक अथवा सीबीआई जांच कराने की मांग की।