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आजमगढ़

रेपिस्टों की गाड़ी पर लगा था बीजेपी का झंड़ा, सरकार कराये सीबीआई जांच

दलित के साथ गैंगरेप के खिलाफ रानी की सराय थाने में सपा ने दिया धरना

आजमगढ़Dec 10, 2018 / 07:17 pm

Devesh Singh

धरने को संबोधित करते पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव।

धरने को संबोधित करते पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव।

रिपोर्ट:-रणविजय सिंह
आजमगढ़। रानी की सराय थाना क्षेत्र के एक गांव में दलित शिक्षिका के साथ हुई गैंगरेप की घटना में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सोमवार को समाजवादी पार्टी ने रानी की सराय थाने में धरना दिया। इस दौरान बीजेपी सरकार और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया गया। सपा नेताओं ने आरोपियों के वाहन में बीजेपी का झंड़ा लगा होने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप मामले की न्यायिक अथवा सीबीआई जांच की मांग की। पीड़िता को न्याय न मिलने तक सड़क से संसद तक आंदोलन की चेतावनी दी गयी।
बता दें कि रानी की सराय क्षेत्र में कोचिंग से लौट रही शिक्षिका और छात्रा को करीब एक पखवारा पूर्व अगवा कर गैंगरेप किया गया था। इस मामले का पुलिस ने कुछ दिन बाद ही खुलासा कर घटना को फर्जी करार दिया था। इसके बाद से ही विरोध प्रदर्शन जारी है। पहले स्थानीय लोगां ने जुलूस निकाल विरोध प्रदर्शन किया फिर सीएम और डीजीपी को पत्र भेजा। शासन ने ममाले को संज्ञान में लिया तो दोबारा जांच शुरू हुई लेकिन पुलिस अब तक एक भी आरोपी पकड नहीं सकी है।
इस मामले में कार्रवाई के लिए समाजवादी पार्टी लगातार आंदोलन कर रही है। आठ दिसंबर को सपा का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय महासचिव इन्द्रजीत सरोज के नेतृत्व में पीड़ित परिवार से मुलाकात कर एक लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी थी। उसी दिन पार्टी द्वारा 18 दिसंबर को मामले को संसद में उठाने तथा दस दिसंबर को रानी की सराय थाने पर धरने का अह्वान किया था।
तय कार्यक्रम के तहत सोमवार को सपा द्वारा रानी की सराय थाने पर धरना दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि दलित के साथ दुष्कर्म की घटना को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। घटना के चार दिन बाद 19नवंबर को पुलिस द्वारा पीड़ित का मेडिकल कराया गया जबकि उसका एक्सरे 21 नवंबर को बलिया में कराया गया। खुद पीड़िता कह रही है कि किसी प्रभावशाली व्यक्ति के दबाव में मेडिकल सही नहीं हुआ। साक्ष्य को खत्म करने के लिए डाक्टर पर दबाव था। इस दौरान पुलिस ने पीड़िता को उसके परिवार से नहीं मिलने दिया। पुलिस उसे डराती थी कि जो हम कह रहे हैं वही बयान देना नही ंतो तुम्हारे परिवार का बड़ा नुकसान होगा। पुलिस के दबाव में उसने मजिस्ट्रेट के सामने वही बयान दिया जो पुलिस चाहती थी। अपहरणकर्ताओं के वाहन पर बीजेपी का झंडा लगा था। प्रभावशाली होने के कारण पुलिस उन्हें बचाने के लिए झूठी कहानी गढ़कर मुकदमा समाप्त करना चाहती है। इस दौरान पुलिस अधीक्षक से मांग की गयी कि मामले की जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय। पुलिस सत्ता के दबाव में काम कर रही है। जनता का पुलिस से विश्वास उठ गया है। पुलिस ज्यादातर बलात्कार की घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज नहीं करती और ना ही अपराध पर अंकुश लगाया जा रहा है। लोगों ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप मामले की न्यायिक अथवा सीबीआई जांच कराने की मांग की।
प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपते सपाई।
IMAGE CREDIT: Patrika
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