कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए विधायक ने कहा कि, संघी लोग हमें देशभक्ति न सिखाएं। बीएचयू में धरना हिंदू दे रहे थे। उनका विरोध करने वाले भी दोगले लोग थे। आरएसएस के लोग न तो मुसलमानों के दोस्त हैं और न हिंदुओं के दोस्त हैं। ये देश के भी नहीं हैं। अगर दोस्त होते तो बीएचयू के अंदर जो आंदोलन हुआ आंदोलन करने वाले भी हिंदू थे और उनका विरोध करने वाले यही दोगले लोग थे। आज अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में बच्चे विरोध कर रहे हैं उनका भी विरोध करने वाले यही हैं।
जिन्ना विवाद पर उन्होंने कहा कि, जिन्ना की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 1938 से लगी है। 1947 के बाद जो मुसलमान भारत में रुका वह मौलाना आजाद के नेतृत्व में रुका। अगर उसे जिन्ना से मुहब्बत होती तो वह पाकिस्तान चला जाता।
वो संघी लोग जिन्होंने अंग्रेजों के साथ मिलकर देश को ठगने का काम किया वो लोग हमें देशभक्ति न सिखाएं। इतिहास लिखा जाता है उसे आप बदल नहीं सकते। 1938 में जिन्ना यूनिवर्सिटी में आए थे उनसे पहले 1920 में महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में आए थे।
तब देश आजाद नहीं हुआ था और आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी। उस समय जिन्ना भी महात्मा गांधी के साथ फ्रीडम फाइटर थे। ये तस्वीर उस समय की है। पार्लियामेंट में भी श्यामाप्रसाद मुखर्जी के साथ जिन्ना और डा. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के साथ अनेक फ्रीडम फाइटरों की तस्वीर लगी है।
अगर इनको इतनी ही नफरत है तो सबसे पहले जिन्ना हाउस को नेस्तनाबूद करें। अगर इनको इतनी ही नफरत है इतिहास से तो राष्ट्रपति भवन से शुरू करें ताजमहल , लालकिला आदि सभी भवनों को नेस्तनाबूद करें।
देश में विकास, रोजगार और अन्य मुद्दों पर फेल होने के बाद मोदी और योगी सरकार लोगों का ध्यान बंटानें के लिए इस तरह के प्रकरण को उठा रही है। मुद्दा यह है कि हमें रोजगार चाहिए, महंगाई पर लगाम चाहिए, विकास चाहिए इन सब मुद्दों पर मोदी और योगी सरकार फेल है इसलिए वह लोगों की भावनाओं को भड़का रही है।