23 नवंबर 2007 को वाराणसीए फैजाबादए लखनऊ की कचहरी में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। उस समय आजमगढ़ में एक लावारिस कार भी बरामद की गयी थी। सीरियल ब्लास्ट के मामलों में एसटीएफ ने कुछ दिनों बाद जिले के रानी की सराय थाना क्षेत्र के सम्मोपुर गांव निवासी तारिक काजमी पुत्र रियाज को गिरफ्तार किया था। वह तभी से जेल में निरुद्ध है।
इस मामले में पांच आरोप पत्र दाखिल हुए थे। विवेचना के बाद पहली चार्जशीट सज्जादुल रहमान तथा मोहम्मद अख्तर के खिलाफ तथा दूसरा आरोप पत्र खालिद मुजाहिदए तारिक काजमीए सज्जादुल रहमान व मोण् अख्तर के खिलाफ दाखिल हुई थी। खालिद मुजाहिद की पिछले दिनों मौत हो गयी थी।
सोमवार को अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकी तारिक काजमी के साथ ही कश्मीर के निवासी मोहम्मद अख्तर उर्फ तारिक हुसैन को उम्रकैद की सजा सुनाई। प्रत्येक दोषी पर पांच लाख 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। दोनों को देश व राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़नेए साजिश रचनेए जान से मारने का प्रयास करने समेत 14 अलग.अलग मामलों में दोषी पाया गया। सजा के बाद से ही सम्मोपुर गांव निवासी आतंकी तारिक काजमी के गांव में सन्नाटा पसरा है। परिवार के लोग तो इस मामले पर बात तक करने को तैयार नहीं है।
बता दें कि तारिक काजमी पढ़ाई पूरी करने के बाद रानी की सराय कस्बा के रेलवे स्टेशन मोड़ के पास दवा की दुकान चलाता था। अपने घर में वह इकलौता पुत्र है। उसकी दो बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है। तारिक विवाहित हैए उसके दो छोटे बच्चे हैं। गिरफ्तारी के बाद से तारिक की पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ ससुराल में रहती है। तारिक के चाचा गांव के प्रधान हैं। उनकी गांव के लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं। तारिक को सजा के बाद उसके परिजन व गांव के लोग इस मामले पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। वहीं तारिक की गिरफ्तारी के समय लंबा आंदोलन करने वाले संगठन भी मामले पर चुप्पी साधे हुए है।