मुलायम ने पांच साल में किया था सिर्फ दो दौरा
2014 के लोकसभा चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी और पूर्वांचल में सपा-बसपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था तब भी आजमगढ़ के मतदाता मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े थे। 63 हजार के मामूली अंतर से ही सही, मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट जीतकर बीजेपी को क्लीन स्वीप से रोका था। सांसद बनने के बाद मुलायम ने कभी आजमगढ़ की तरफ मुडकऱ नहीं देखा। यहां तक कि अपने गोद लिए गांव तमौली भी कभी नहीं गए। वर्ष 06 फरवरी 2015 में 42 परियोजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव व मुलायम सिंह यादव को यहां आना था लेकिन, किन्हीं कारणों से अखिलेश यादव नहीं आए। मुलामय सिंह ने चीनी मिल सहित 41 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस दौरान वे करीब 45 मिनट मंच पर रहे फिर लखनऊ चले गए। इसके बाद 22 मार्च 2016 को चीनी मिल के लोकापर्ण समारोह में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव साथ में सठियांव पहुंचे और लोकापर्ण किया फिर लखनऊ लौट गए। बतौर सांसद मुलामय सिंह यादव पांच साल में कभी जनता के बीच नहीं आए।
2014 के लोकसभा चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी और पूर्वांचल में सपा-बसपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था तब भी आजमगढ़ के मतदाता मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े थे। 63 हजार के मामूली अंतर से ही सही, मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट जीतकर बीजेपी को क्लीन स्वीप से रोका था। सांसद बनने के बाद मुलायम ने कभी आजमगढ़ की तरफ मुडकऱ नहीं देखा। यहां तक कि अपने गोद लिए गांव तमौली भी कभी नहीं गए। वर्ष 06 फरवरी 2015 में 42 परियोजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव व मुलायम सिंह यादव को यहां आना था लेकिन, किन्हीं कारणों से अखिलेश यादव नहीं आए। मुलामय सिंह ने चीनी मिल सहित 41 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस दौरान वे करीब 45 मिनट मंच पर रहे फिर लखनऊ चले गए। इसके बाद 22 मार्च 2016 को चीनी मिल के लोकापर्ण समारोह में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव साथ में सठियांव पहुंचे और लोकापर्ण किया फिर लखनऊ लौट गए। बतौर सांसद मुलामय सिंह यादव पांच साल में कभी जनता के बीच नहीं आए।
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मुलायम के लापता होने के लगे पोस्टर तो हुई एफआइआर
इस दौरान 29 दिसंबर 2014 को मुलायम सिंह यादव को लापता बताते हुए लोगों ने प्रदर्शन किया। कुछ लोग मुलायम के लापता होने का पोस्टर लगाने के साथ ही दिन में लालटेन लेकर गली कूंचों में तलाश के नाम पर प्रदर्शन किया। इस मामले में बीजेपी नेता ब्रजेश यादव, सोफियान खान, पवन देव त्रिपाठी तथा विनय प्रकाश गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। फिर भी मुलामय जनता से दूर रहे।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन कर मैदान में उतरी तो बीजेपी ने फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को आजमगढ़ संसदीय सीट से अखिलेश के खिलाफ मैदान में उतारा। यहां के लोगों ने अखिलेश पर विश्वास किया और 2.5 लाख के बड़े अंतर से उन्हें जीत दिलाई। लेकिन, अखिलेश भी मुलामय सिंह के रास्ते पर चल पड़े। चुनाव जीतने के बाद 03 जून 2019 को अखिलेश जनता का अभिवादन करने के लिए एक दिवसीय यात्रा पर आजमगढ़ आए। लेकिन उनका दायरा सिर्फ कार्यकर्ताओं तक सीमित रहा। चौबीस घंटे आजमगढ़ रहने के बाद भी वे आम आदमी से दूर रहे। अखिलेश यादव दूसरी बार 29 जनवरी 2020 को पूर्व सांसद रामकृष्ण यादव के निधन पर शोक व्यक्त करने उनके आवास अंबारी पहुंचे। यहां अखिलेश यादव करीब 35 मिनट रहे लेकिन जनता से दूरी बनाए रहे।
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कांग्रेस ने अखिलेश को हवाई नेता करार दिया
इसी बीच पांच फरवरी को सीएए के विरोध के नाम पर बिलरियागंज में बवाल हुआ लेकिन अखिलेश यादव न तो आजमगढ़ आए और ना ही इस संबंध में कोई बयान दिया। इसके बाद कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने शहर में अखिलेश के लापता होने का पोस्टर चस्पा कर उन्हें हवाई नेता करार दिया। इस मामले को लेकर कांग्रेस और सपा लगातार आमने-सामने हैं। यहां तक कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा 12 फरवरी को बिलरियागंज पहुंची तो उन्होंने भी कहा कि सांसद होने के नाते अखिलेश की जिम्मेदारी बनती है कि जनता के बीच आकर उनकी लड़ाई लड़े लेकिन, आज तक अखिलेश यादव आजमगढ़ नहीं आए।