जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के जमसर गांव निवासी उदयराज सिंह ने चुनाव के दौरान अपनी लाइसेंसी दो नाली बंदूक नंबर 3954-ए9 को वर्ष 1993 में जीयनपुर कोतवाली में जमा किए थे। असलहा जमा करने के कुछ माह बाद उनकी मौत हो गई। लाइसेंसी की मौत हो जाने से जीयनपुर कोतवाली में जमा हुए उक्त असलहा को उनके परिजन अवमुक्त नहीं करा सके। इधर उक्त लाइसेंसी के पुत्र आदित्य सिंह ने पिता की मृत्यु के बाद वरासत के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट के यहां से शस्त्र लाइसेंस बनाया। 19 अगस्त 2019 को जिला मजिस्ट्रेट ने उसे लाइसेंस जारी किया। इसके बाद आदित्य अपने पिता की जीयनपुर कोतवाली में जमा की गयी दो नाली बंदूक को अवमुक्त कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। लाइसेंसी आदित्य सिंह के आवेदन पर प्रभारी अधिकारी (शस्त्र) ने 26 अगस्त 2019 को जीयनपुर कोतवाल को उसके पिता के जमा किए गए शस्त्र को अवमुक्त करने का निर्देश दिया।
प्रभारी अधिकारी शस्त्र के आदेश पर आवेदक जीयनपुर कोतवाली पहुंचा तो उसे जानकारी हुई कि उसके पिता की दो नाली बंदूक कोतवाली के शस्त्रागार से गायब है। इस पर लाइसेंस धारक आदित्य ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर प्रार्थना पत्र देते हुए कार्रवाई करने के लिए गुहार लगाई। आइजीआरएस पर आदित्य की ओर से की गई शिकायत पर लाटघाट चैकी प्रभारी बंशराज सिंह ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि उनके द्वारा जब जांच की गई तो कोतवाली के शस्त्रागार में उक्त दो नाली बंदूक नहीं मिली। उक्त मामला काफी पुराना है। उस दौरान जीयनपुर कोतवाली पर नियुक्त हेड मोहर्रिर व आरक्षी मोहर्रिर से पूछताछ करने पर ही मामला स्पष्ट हो सकेगा।
उस समय के हेड मोहर्रिर व पुलिस अफसर भी इस खुलासे से परेशान है। मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सवाल उठता है कि अगर जिले के थाने और कोतवाली सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी का क्या। इस मामले में पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में है। उक्त शस्त्र कब से और किसके कार्यकाल से गायब है इसकी प्रारंभिक जांच कराने का आदेश दे दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसपी के आदेश के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।