बता दें कि गावों में आबादी क्षेत्र में बने मकानों के मालिकाना हक का कोई अभिलेख नहीं होता है। संपत्तियों पर अतिक्रमण के कारण गांवों में आए दिन विवाद होते हैं। गांवों में आबादी क्षेत्र की संपत्तियों का सीमांकन करके ग्रामीणों को उनके मकानों का स्वामित्व दर्शाती मुहैया कराते हुए अप्रैल में प्रधानमंत्री ने शुभारंभ किया था। योजना के तहत ड्रोन टेक्नोलाजी के माध्यम से आबादी क्षेत्र की एरियल फोटोग्राफी कराई जा रही है।
योजना के तहत प्रथम चरण में जिले की दो तहसीलों के 10 गांवों का चयन किया गया है, जिसमें अब तक दो तहसीलों के छह गांवों के 161 ग्रामीणों के स्वामित्व प्रमाण पत्र पर राजस्व निरीक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर हो चुके हैं। जिन गांवों के ग्रामीणों का स्वामित्व प्रमाण पत्र बन चुका है, उसमें तहसील सदर के कोढिया बिदा, तिवारीपुर, दुर्गापुर एवं मैनी और तहसील निजामाबाद के ईशापुर व मौका रामगढ शामिल हैं। जबकि तहसील सदर के सुरखीपुर व भीखमपुर एवं निजामाबाद के कोतवालीपुर एवं चकमजनू गांव का स्वामित्व प्रमाण पत्र बनाया जाना शेष है, जिसे 2 अक्टूबर से पहले पूरा किया जाएगा।
मुख्य राजस्व अधिकारी हरीशंकर का कहना है कि स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी होने के बाद लोगों का मकान पर मालिकाना हक होगा। इससे अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी। गांव में विवाद कम होंगे। लोगों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसे निर्धारित समय पर पूरा किया जाएगा।
BY Ran vijay singh