आजमगढ़ ब्लड बैंक के पूर्व प्रभारी डा. विनय कुमार सिंह यादव का कहना है कि जब कोई रक्तदान करता है तो मात्र एक यूनिट ही खून देते हैं, लेकिन इससे चार लोगों की जिंदगी बचा सकती है। कारण कि एक यूनिट ब्लड से पीआरबीसी, फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा, प्लेटलेट्स के साथ क्रायो प्रेसीपीटर बनता है। साथ ही मुफ्त में रक्तदाता का हेल्थ कार्ड भी बन जाता है। क्योंकि हिमोग्लोबीन, ब्लड प्रेशर के साथ ही हेपेटाइटिस बी व सी, एचआवी, मलेरिया, सिफलिस बीमारी की जांच भी हो जाती है। यही नहीं नियमित रक्तदान करने से हृदय रोग की भी आशंका कम रहती है। आप रक्तदान कर देश एवं समाज की सेवा की मिशाल भी बन सकते हैं, क्योंकि खून किसी फैक्ट्री में नहीं बनता। बल्कि मानव ही दूसरे मानव को देता है।
कोरोना काल में रक्त की मांग और बढ़ी है। इससे हमारी जिम्मेेदारी और बढ़ जाती है। कारण कि पहले रक्त की सर्वाधिक जरूरत दुर्घटना, आपरेशन, प्रसव, हृदय रोग, अंग प्रत्यारोपण, थैलेसीमिया, हिमोफीलिया, कैंसर आदि के मरीजों को होती थी। अब ब्लैक फंगस के मरीजों को भी ब्लड की जरूरत पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि रक्तदान से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। रक्तदान करते समय ध्यान दें कि हीमोग्लोबीन 12.5 ग्राम व वजन 45 किग्रा हो। रक्तदान के बीच तीन माह का अंतर रखें। रक्तदान के बाद 24 घंटे धूम्रपान, तंबाकू, शराब का सेवन न करें। रक्तदान के बाद थोड़ा आराम करें। सामान्य से 4-5 लीटर ज्यादा पानी पीएं। पौष्टिक आहार लें, खाली पेट न घूमें।
डा. विनय के मुताबिक शोध में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से रक्तदान करते हैं उनमें हृदय संबंधी रोग का भी खतरा कम रहता है। इसलिए सभी को नियमित रक्तदान करना चाहिए। इससे न केवल आप पीड़ितों की मदद कर पाएंगे बल्कि खुद को भी स्वस्थ्य रख पाएंगे।
BY Ran vijay singh