मनीष अपने प्लान में जितना दिमाग लगाता उसकी प्रेमिका उससे उतना ही दूर होने लगी थी। इसी बीच किसी बात को लेकर मनीष की प्रेमिका और उसके दोस्त अरूण के बीच क्षगड़ा हो गया। मनीष को लगा कि अगर अरूण की हत्या कर देता है तो पुलिस और समजा के लोग इस हत्या को उसी लड़ाई से जोड़कर देखेंगे। ऐसे में हत्या का आरोप जब उसकी प्रेमिका पर आयेगा तो उसके ससुराल के लोग उसे ले जाने से इनकार कर देंगे। तब प्रेमिका उसी के साथ रहने को मजबूर हो जायेगी।
अपने प्लान के मुताबिक मनीष ने अपने दोस्त अरूण को बुलाया दोनों की मुलाकात रोडवेज बस स्टेशन पर हुई। दोनों टहलते हुए चर्च चौराहे पर पहुंचे। जहां अरुण के सामने ही मनीष ने चाकू खरीदा। हालांकि अरुण को उसके हत्या की कोई जानकारी नहीं थी। चाकू लेने के बाद दोनों ने एक साथ जमकर शराब पी और पैदल घर जाने लगे। योजनाबद्ध तरीके से जैसे ही दोनों गांव के समीप पहुंचे कि मनीष अपने मित्र अरुण को धक्का देकर गिरा दिया और चाकू से गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। 19 सितंबर की सुबह अरूण की लाश मिली तो हड़कंप मच गया।
लेकिन पुलिस की जांच में ये बात सामने आई कि दोनों को साथ में देखा गया था। कड़ाई से पूछताछ हुआ तो पुलिस के सामने युवक ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया।