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कपास की फसल में कीट का प्रकोप, सूख कर मुरझाने लगे है पौधें

locationबड़वानीPublished: Jul 22, 2021 10:13:31 am

Submitted by:

vishal yadav

बोवनी पूरी, बारिश का आंकड़ा पिछले वर्ष से अब भी तीन गुना कम, सूखकर मुरझाने लगे पौधे, कृषि विभाग व विशेषज्ञों की टीम ने किया निरीक्षण

Insect outbreak in cotton crop

Insect outbreak in cotton crop

बड़वानी. इस बार खरीफ सीजन में फसल बुआई के एक-डेढ़ माह बाद फसलों को मानसून का पानी नसीब हुआ है। इससे जमीन में नमी बढ़ी है। हालांकि इस दौरान कुछ खेतों में मुख्य रुप से कपास फसलों में जड़ सडऩ और फंगस जैसी समस्याए उभरने लगी है। इससे कपास पौधे मुरझाने और सूखने लगे है। इसको लेकर संबंधित किसान कृषि विभाग और वैज्ञानिकों को शिकायत दर्ज कराने लगे है।
ऐसी ही शिकायत को लेकर बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कृाि अधिकारी ग्राम बोम्या रोड स्थित खेत में पहुंचे। इस दौरान कपास पौधे की जड़ में सडऩ पाई गई। इसको लेकर संबंधित कृषक को बचाव के लिए दवाइयों का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार बोवनी पूर्व जमीन अच्छी तरह तैयार नहीं करने से ऐसी समस्या आती है। इसमेें एक पौधा संक्रमित होता हैं, तो बारिश होने पर पानी के माध्यम से अन्य पौधे भी संक्रमित होने लगते है। उल्लेखनीय है कि जिले में इस वर्ष खरीफ सीजन में कुल दो लाख 38 हजार 550 हेक्टेयर में बोवनी प्रस्तावित है। इसके विरुद्ध अब तक 97 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है। इसमें प्रमुख रुप से कपास की करीब 75 हजार हेक्टेयर में बोवनी होना है।
दो-तीन उपाय बताए हैं
उपसंचालक कृषि अधिकारी केएस खापेडिय़ा ने बताया कि बारिश में कुछ फसलों में जड़ सडऩ की समस्या पैदा होती है। इससे पौधे सूखने व मुरझाने लगते है। खेत में एक पौधा भी इस बीमारी से संक्रमित होता हैं, तो बारिश के पानी से अन्य पौधे तेजी से सूखने लगते है। इसके लिए दवाइयों का पर्याप्त मात्रा में जड़ तक छिड़काव करने से राहत मिलती है। इस बीमारी का किट-फंगस से कोई लेना-देना नहीं है। अमूमन बोवनी से पूर्व गर्मी में खेत को एक माह तक अच्छी धूप में सूखने देना चाहिए। इससे कई किट नष्ट हो जाते है। एक फसल के बाद सीधे दूसरी फसल लगाने से ऐसी समस्याएं आती है।
रोग से जड़ पीली पड़ जाती हैं
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचंद्र गुप्ता ने बताया कि आज एक किसान के खेत में निरीक्षण किया। इसमें सडऩ संबंधित रोग लगा पाया गया। यह रोग फसल को सूखा देता है। इससे फसल की जड़ पीली पड़ जाती है। इसके बचाव के लिए निर्धारित दवाइयों का घोल बनाकर ऐसा छिड़काव करें कि पौधे की जड़ तक पहुंच सके। उससे अन्य फसल को बचाव होगा।
चाचरिया-सेंधवा में बेहतर बारिश
वहीं जिले में अब बारिश का आंकड़ा बढऩे लगा है। बीते 24 घंटे के दौरान पहली बार 35.7 मिमी बारिश दर्ज हुई है। इस दौरान चाचरिया में 126, सेंधवा में 110, निवाली में 64 सहित पानसेमल में 32, वरला में 13 और शेष विकासखंडों में पांच मिमी से कम बारिश दर्ज की गई है। बारिश का मौसम शुरु होने से दिन-रात के तापमान में कमी आने लगी है। चार दिनों के दौरान दिन का तापमान दो और रात्रि का तीन डिग्री लुढ़का है।
भू अभिलेख कार्यालय के अनुसार जिले में इस वर्ष एक जून से अब तक औसत 160.1 मिमी बारिश दर्ज हुई है। जबकि गत वर्ष इस दौरान 337.1 मिमी बारिश हुई थी। वैसे आंकड़ों के अनुसार जिले के अंजड़ में पिछले वर्ष (39.4) के मुकाबले इस बार (65.5 मिमी) अधिक बारिश हुई है। वहीं शेष विकासखंडों में बारिश का आंकड़ा इस बार काफी पीछे है।
चार दिन में तापमान की स्थिति
दिनांक- अधिकतम- न्यूनतम
18 जुलाई- 35.0- 26.4
19 जुलाई- 34.8- 26.0
20 जुलाई- 33.4- 24.0
21 जुलाई- 32.2- 23.0

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