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बड़वानी

कमरे में बंद सोनोग्राफी मशीन, लोगों को बाजार में खाली करना पड़ रही जेब

कोरोना के बाद कई उपकरणों पर चढऩे लगी धूल, वायरल के चलते बढ़ी अस्पताल में मरीजों की भीड़

बड़वानीOct 01, 2022 / 01:31 pm

harinath dwivedi

locked sonography machine

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विशाल यादव…
बड़वानी. कोरोना काल के बाद शासन ने जिला अस्पताल में कई अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाई हैं। हालांकि कोरोना का दौर थमने पर अब कई संसाधन धूल खा रहे हैं, तो कुछ कमरे में बंद पड़ी हैं। वहीं महिला अस्पताल में सामान्य रुप से उपयोग में आने वाली सोनोग्राफी मशीन पर धूल की परत चढ़ रही हैं। इसके लिए मरीजों को बाजार में अपनी जेबें ढीली करना पड़ रही हैं। इसको शुरु करवाने के लिए जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक मुद्दा उठ चुका हैं।
उल्लेखनीय हैं कि जिला अस्पताल पूरे निमाड़-अंचल में अपनी सुविधाओं के लिए विख्यात हैं। प्रतिदिन यहां बड़वानी सहित धार, खरगोन आदि जिलों से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। शासन स्तर से यहां अब तक सीटी स्कैन, डिजिटल एक्सरे, फिजियोथेरेपी यूनिट सहित कई हाईटेक सुविधाएं मुहैया हो चुकी हैं। वहीं कोरोना काल के दौरान 100 से अधिक ऑक्सीजन कंसंनट्रेटर मशीने और करोड़ों रुपए के ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए गए हैं। हालांकि कोरोना की रफ्तार थमने के बाद अब संसाधनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं। छोटे-छोटे उपकरण धूल खा रहे हैं, तो बड़े-बड़े ऑक्सीजन संयंत्रों के संचालन में टेक्निशियनों को तैनात रहना पड़ रहा हैं। जिला अस्पताल में सतत 16 घंटे इन ऑक्सीजन संयंत्रों को चालु रखा जा रहा हैं। इससे ऑक्सीजन सिलेंडरों पर निर्भरता घटी हैं, लेकिन फिर भी महिला अस्पताल के पीछे केंद्र में सिलेंडरों पर निर्भरता बरकरार हैं।
सोनाग्राफी बंद, विशेषज्ञ के इंतजार में प्रबंधन
जिला अस्पताल में बीते आठ माह से निशुल्क सोनोग्राफी बंद हो चुकी हैं। विशेषज्ञ ट्रेनिंग पर क्या गए, केंद्र पर धूल जमने लगी हैं और गर्भवती माताओं व अन्य मरीजों को बाजार में मनमाना शुल्क चुकाना पड़ रहा हैं। उल्लेखनीय हैं कि दो दिन पूर्व जिले में पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने जिला अस्पताल का दौरा किया था, तब महिलाओं ने मुख्य रुप से सोनोग्राफी यूनिट शुरु करवाने की मांग की थी। इस पर मंत्री ने कहा था कि दो टेक्निशियन नियुक्त किए हैं। इनके यहां आते तक सीएमएचओ को ऑउटसोर्स की मदद से सुविधा शुरु करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से शासन स्तर से नियुक्त टेक्निशियनों के भरोसे ही बैठा हैं।
कब शुरु होगी एमआरआई जांच
वहीं अस्पताल में सीटी स्कैन सुविधा सुचारु हैं और गरीब वर्ग को आर्थिक राहत भी हैं। जबकि एमआरआई जैसी बड़ी जांच के लिए मरीज अब भी बाजार पर ही निर्भर हैं। इसके लिए मरीजों को निजी केंद्रों पर हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन को इस ओर ध्यान देने की जरुरत हैं। उधर अस्पताल में सफाई का ढर्रा भी सुधारने की जरुरत हैं। दो दिन पूर्व चिकित्सा मंत्री सहित गत दिनों राज्यसभा सांसद ने भी अपने निरीक्षण में जिला अस्पताल में सफाई को लेकर अस्पताल प्रंबंधन के विरुद्ध नाराजगी व्यक्त की थी।
प्रतिदिन पहुंच रहे 600 से 700 मरीज
उधर सतत बारिश के चलते सितंबर माह में जनजीवन में मौसमी वायरल का प्रकोप बना हुआ हैं। सर्दी-जुखाम से लेकर बुखार, दरार, खुजली जैसी समस्याओं के मरीज अधिक संख्या में पहुंच रहे है। इसमें बच्चों की संख्या अधिक हैं। दूसरी ओर प्रदेश शासन ने जिला अस्पताल ओपीडी का समय बदला हैं। इससे दिन में सुबह व शाम को दो शिफ्ट में ओपीडी संचालित हो रही हैं। ऐसे में दोपहर में 1 से 4 बजे के बीच मरीज ओपीडी में बैठे या चक्कर लगाते नजर आते हैं। सुबह की शिफ्ट में अधिकांश डॉक्टर बैठते हैं, जबकि दूसरी शिफ्ट में डॉक्टरों की संख्या में कमी रहती हैं। अस्पताल से प्राप्त जानकारी अनुसार अभी प्रतिदिन 600 से 700 मरीजों की ओपीडी में पर्ची बनाई जा रही हैं। इसमें अधिकांश मरीज मौसमी वायरल के आ रहे हैं।
विशेषज्ञ के आने से शुरु होगी सोनोग्राफी
जिला महिला अस्पताल में बंद सोनोग्राफी यूनिट के लिए शासन स्तर से दो तकनीशियन मिले हैं, जब वो यहां आएंगे तो सुविधा शुरु हो जाएगी। अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर निर्देश देकर इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हैं। एमआरआई जैसी जांच के लिए भी डिमांड करेंगे।
-डॉ. मनोज खन्ना, सिविल सर्जन

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