पिछले लाेकसभा चुनाव में हाशिये पर आ गई थी रालोद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने किसानों के मसीहा के नाम से ख्याती पाई थी। किसानों के मसीहा बनकर फैसले भी लिए थे, जिसका नतीजा यह रहा कि उत्तर प्रदेश में रालोद की पैठ बनी। कई साल तक वेस्ट यूपी में रालोद का सिक्का चला। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के बाद यह हाशिये पर आ गई। अस्तित्व बचाने के लिए रालोद ने गठबंधन से हाथ मिलाया और तीन सीटों पर समझौता कर लिया। बसपा ने भी तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी न उतारने पर सहमति दे दी। रालोद अब बागपत, मुजफफरनगर और मथुरा सीट से चुनाव लड़ेगी।
बागपत और मुजफ्फरनगर से नाम तय बागपत से जयंत चौधरी और मुजफफरनगर से अजित सिंह के नाम तय हैं। मथुरा से अभी तक किसी भी प्रत्याशी का नाम रालोद ने नहीं लिया है। राजनीतिक विश्लेषक सतवीर सिंह राठी के अनुसार, रालोद आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। मथुरा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पौत्रवधु चारू चुनाव लड़ सकती हैं। चौधरी अजित सिंह को अब बाहरी लोगों पर विश्वास नहीं रह गया है। बागपत विधानसभा सीट से सहेंद्र सिंह रमाला इसका उदाहरण है। इस वजह से चौधरी परिवार खुद तीनों सीटों पर चुनाव लड़ेगा। हालांकि मथुरा से निदर्लीय विधायक श्याम सुंदर शर्मा भी रालोद के विकल्प हो सकते हैं।